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एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) के पिता की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे को लेकर वानखेड़े के वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) को अतिरिक्त दस्तावेज सौंपे। पीठ ने सभी दस्तावेजों को रेकॉर्ड पर ले लिया और न्यायमूर्ति जमादार ने कहा कि वह 22 नवंबर को शाम 5.30 बजे फैसला सुनाएंगे। उन्होंने कहा कि आगे कोई दस्तावेज नहीं लिया जाएगा।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने आरोप लगाया है कि वानखेड़े ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद आरक्षित कोटा के तहत नौकरी पाने के लिए नकली जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया। खुद को अनुसूचित जाति वर्ग का हिंदू बताया है। मलिक ने अपने वकील अतुल दामले और कुणाल दामले के जरिए जस्टिस माधव जामदार (Justice Madhav Jamdar) की बेंच को तीन दस्तावेज सौंपे। इनमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) (BMC) के जन स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से समीर वानखेड़े ( Sameer Wankhede) के पिता के नाम परिवर्तन से संबंधित घोषणा की एक प्रति के साथ एक पत्र शामिल है। साथ ही सेंट जोसेफ हाई स्कूल और सेंट पॉल हाई स्कूल द्वारा जारी समीर वानखेड़े ( Sameer Wankhede) का स्कूल छोडऩे का प्रमाण पत्र और सेंट जोसेफ हाई स्कूल का प्रवेश फॉर्म भी शामिल है।
समीर वानखेड़े के अधिवक्ता अरशद शेख और दिवाकर राय ने भी अदालत को दो दस्तावेज दिए। इसमें बीएमसी की ओर से जारी डिजीटल जन्म प्रमाण पत्र और वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े का जाति प्रमाण-पत्र (Sameer Wankhede birth, caste certificates) शामिल है। शेख ने कहा कि नवाब मलिक बीएमसी को एक पत्र लिखते हैं। बीएमसी के ई-वार्ड के स्वास्थ्य अधिकारी के पत्र में वानखेड़े के जन्म का पूरा विवरण था, जिससे पता चलता है कि 1979 में ज्ञानदेव का नाम दाऊद के वानखेड़े था। 1993 में ही सब-रजिस्ट्रार ने उनका नाम सुधार दिया था। मलिक के अतिरिक्त हलफनामे में कहा गया है कि समीर वानखेड़े के स्कूल से दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियों में उनके धर्म का उल्लेख मुस्लिम और पिता का नाम दाऊद वानखेड़े (Dawood Wankhede) के रूप में किया गया है। अगर बीएमसी के पत्र और दस्तावेजों का अध्ययन किया जाता है, तो यह स्पष्ट है कि वानखेड़े का नाम दाऊद के वानखेड़े से बदलकर ज्ञानदेव कचरूजी वानखेड़े कर दिया गया है।
हालांकि, धर्म के संबंध में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दूसरी ओर, अधिवक्ता शेख ने कहा, मलिक को दाऊद नहीं कहना चाहिए, जिसे ज्ञानदेव ने बहुत पहले ठीक कर दिया था। पिछले चार दिनों से वह किसी तरह चुप हैं। शेख ने यह भी मुद्दा उठाया कि पुलिस को स्कूल की ओर से प्रमाण-पत्र की एक प्रति सौंपी गई थी और यह मलिक तक कैसे पहुंची। 10 मिनट के भीतर जस्टिस जामदार के चैंबर के अंदर बहस खत्म करते हुए शेख ने दोहराया, मुझे दाऊद के अलावा कुछ और बुलाओ।
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