अमेरिका ने 60 साल बाद तिब्बत को लेकर एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन से उसके रिश्ते ज्यादा खराब हो सकते हैं।  व्हाइट हाउस ने सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के प्रेसिडेंट लोबसांग सेन्गे को यहां आने का न्योता दिया है।   

माना जा रहा है कि छह दशक बाद ही सही अब अमेरिका तिब्बत की निर्वासित सरकार को मान्यता दे रहा है।  तिब्बत की इस निर्वासित सरकार का मुख्यालय भारत के धर्मशाला शहर में है। 

चीन हमेशा से तिब्बत को अपना हिस्सा बताता रहा है।  अमेरिका ने पहले कभी तिब्बत सरकार या इसके नेताओं को कूटनीतिक तौर पर अहमियत नहीं दी।  लेकिन, पिछले कुछ साल से अमेरिकी अफसर तिब्बती नेताओं के साथ गुप्त बातचीत करते रहे हैं।  अब अमेरिका के इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों में नया तनाव पैदा हो सकता है। 

धर्मशाला में मौजूद सीटीए प्रवक्ता ने भी पुष्टि की है कि प्रेसिडेंट सेन्गे को व्हाइट हाउस आने का इनविटेशन मिला है।  पिछले महीने सेन्गे को पहली बार अमेरिकी विदेश विभाग में बतौर मेहमान बुलाया गया था।  

यहां उन्होंने तिब्बत मामलों के स्पेशल डायरेक्टर रॉबर्ट डेस्ट्रो से मुलाकात की थी।  इसके पहले कोई तिब्बती नेता स्टेट डिपार्टमेंट नहीं गया था।  सीटीए के स्पोक्सपर्सन ने कहा- हमें खुशी है कि दो लोकतंत्र एक दूसरे को मान्यता दे रहे हैं।  सीटीए और इसके नेता को व्हाइट हाउस से न्योता मिलना अहम शुरुआत कही जा सकती है।  सेन्गे यहां व्हाइट हाउस के अफसरों से मुलाकात करेंगे। 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सेन्गे 2011 में सीटीए के राष्ट्रपति बने।  पिछले करीब 10 साल से अमेरिकी अफसर उनसे गुप्त मुलाकातें करते रहे हैं।  लेकिन, अमेरिका ने इस बार चौंकाने वाला फैसला लेते हुए उन्हें सीधे व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया।  हाल के कुछ महीनों में सेन्गे काफी एक्टिव रहे।  उन्होंने कई नेताओं से मुलाकातें कीं।  अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर्स से भी वे बातचीत कर चुके हैं।  तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरू दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं।