पाकिस्तान एक बार फिर से हिंसक झड़प की आग की लपटों से झुलसता नजर आ रहा है। पाकिस्तान की सड़कों पर बीते तीन दिनों से कट्टर इस्लामी पार्टी के समर्थक आतंक मचाए हुए हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की वजह से पाकिस्तान जंग का अखाड़ा बन चुका है और इस खूनी जंग में अब तक सात लोगों की मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों घायल हैं। पाकिस्तान में जो गदर मचा हुआ है, उसके केंद्र में फ्रांस की पत्रिका में पिछले साल पैगंबर मोहम्मद के छपे वह विवादित कार्टून हैं, जिसे लेकर इमरान सरकार को फ्रांस के राजदूत को वापस भेजे जाने को लेकर कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने डेडलाइन दी थी। मगर प्रदर्शन से पहले ही पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए।

समाचार एजेंसी के मुताबिक, कट्टर इस्लामी पार्टी के समर्थकों की गुंडई को देखते हुए पाकिस्तान ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों की लगातार तीसरे दिन कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ झड़प के बाद बुधवार को आतंकवाद अधिनियम के तहत उस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया। इन झड़पों के दौरान सात लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। सड़कों पर लोगों को हुजूम दिख रहा है। सोशल मीडिया पर भी काफी ट्रेंड हो रहा है।

गृह मंत्री शेख राशिद ने पत्रकारों से कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम के नियम 11-बी के तहत प्रतिबंधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'मैंने टीएलपी पर प्रतिबंध लगाने के लिये पंजाब सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।' अहमद ने कहा कि बीते दो दिन में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों में कम से कम दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है और 340 से अधिक घायल हुए हैं।

मीडिया में आईं खबरों में बताया गया है कि दो प्रदर्शनकारियों की भी मौत हुई है। हालांकि, सोशल मीडिया पर जिस तरह के दावे किए जा रहे हैं, उससे मौत का आंकड़ा भी बड़ा होने के संकेत मिल रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए इमरान सरकार ने सेना का भी सहारा लिया है और सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच भी हिंसक झड़प की खबरें हैं। इससे जुड़े कई वीडियो-फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। 

दरअसल, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित करने के लिये फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के वास्ते इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय दिया था, किंतु उससे पहले ही पुलिस ने सोमवार को पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद टीएलपी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।