कोरोना महामारी के कारण पंचायत चुनाव और परीक्षा जैसे कई अहम कार्य स्थितिगत कर दिए गए हैं। स्थितिगत करने और समय को देखते हुए कई तरह के फैसले लिए गए हैं। इस कड़ी में 15 जून को त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था का वर्तमान कार्यकाल समाप्त हो रहा है। महामारी के कारण चुनाव नहीं करवाए जा सके। अब बिहार सरकार ने एक फैसला लिया है। बता दें कि बिहार में पंचायत समिति की कुल संख्या 11 हजार 491 है।


बिहार सरकार ने फैसला किया है कि पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन कर राज्य में नई वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है। राज्यपाल से सहमति मिलने के बाद सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया है और अब इसके तहत पंचायत सिस्टम में पदों के भी नए नाम हो गए हैं। बिहार सरकार के अध्यादेश के अनुसार, ग्राम पंचायत- ग्राम परामर्शी समिति, पंचायत समिति- पंचायत परामर्शी समिति और जिला परिषद- जिला परामर्शी समिति बन जाएगी।


इस तरह से अब अध्यादेश के तहत मुखिया - प्रधान कहे जाएंगे, परामर्शी समिति, ग्राम पंचायत- प्रधान परामर्श प्रमुख कहे जाएंगे, पंचायत समिति- जिला परिषद अध्यक्ष कहे जाएंगे। बिहार पंचायती राज संशोधन अध्यादेश-2021 के जरिये अब वार्ड, पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का काम परामर्शी समितियों के जिम्मे होगा। 16 जून से पंचायत के मुखिया परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे।


 
सरकार ने इनको दिया इतना पावर

16 जून के बाद पंचायत समिति के कार्यों के संचालन के लिए समिति के अध्यक्ष (प्रमुख) विघटित पंचायत समिति के प्रमुख होंगे। प्रमुख और पंचायत समिति के सभी सदस्य, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी और BDO समिति के सदस्य होंगे। परामर्शी समिति के अध्यक्ष का पदनाम प्रमुख की जगह प्रधान परामर्शी समिति, पंचायत समिति होगा। ये सभी कार्य निर्वाचित प्रमुख की तरह करेंगे। सरकारी सेवक सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे।