पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इससे पहले राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है. कर्नाटक की इंदिरा कैंटीन तथा तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन की तर्ज पर ममता बनर्जी सरकार ने बंगाल के गरीबों के लिए 'मां किचन' शुरू किया है.

मां किचन थाली में बंगाल के गरीबों को मात्र 5 रुपए में दाल, चावल, सब्जी और एक अंडा मिलेगा. किचन में ऊंचे सब्सिडी दामों पर पोषणभरा खाना मिलेगा. अपनी इस नई योजना को  लॉन्च करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह मां किचन है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी मां पर गर्व हैं.

ममता बनर्जी ने कहा कि जहां भी कोई मां होगी वहां अच्छी चीजें होंगी. हम सब अपनी माओं को सलाम करते हैं. इसके पहले ममता बनर्जी सरकार गरीबों के लिए दुआरे सरकार (सरकार आपके दरवाजे पर) और स्वास्थ्य साथी (हेल्थ इंश्योरेंस की योजना) शुरू कर चुकी है. इन योजनाओं को सोमवार को कोलकाता में शुरू किया गया. इन्हें पूरे राज्य में शुरू किया जाएगा.

दूसरी तरफ मां किचेन योजना को लेकर भाजपा ने ममता सरकार पर निशाना साधा है. पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि राज्य के लोगों के पास खाना खरीदने तक के पैसे नहीं है, इसलिए ममता बनर्जी को मां कैंटीन चलानी पड़ रही है. ममता बनर्जी ने इससे साबित कर दिया है कि वो असफल रही हैं.

दिलीप घोष ने कहा कि राज्य के लोग भिखारी बन गए हैं और ममता बनर्जी को पांच रुपए में खाना खिलाना पड़ रहा है. हालांकि बीजेपी के इस लॉजिक को खारिज करते हुए तृणमूल पार्टी का कहना है कि बीजेपी को बस चुनावों के वक्त ही पश्चिम बंगाल की याद आती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ चुनावों के वक्त ही बंगाल में इतनी बार क्यों आते हैं?

तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह कोई चुनावी थाली नहीं है. कन्याश्री, स्वास्थ्य साथी, रूपाश्री सभी योजनाएं गरीबों के हित के लिए है और राज्य में अच्छे से काम कर रही हैं. मुख्यमंत्री बनर्जी ने मां किचेन के अलावा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की, इसमें एक आईटी पार्क भी है.