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भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की वेबसाइट को कथित रूप से हैक करने के आरोप में यूपी के सहारनपुर से 20 साल के एक युवक को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती जानकारी में कहा गया है कि यह युवक सहारनपुर के नकुड़ क्षेत्र स्थित अपनी छोटी सी कंप्यूटर की दुकान में कथित तौर पर हजारों वोटर आईडी कार्ड बना रहा था। इस युवक की पहचान विपुल सैनी के रूप में हुई है।
पुलिस ने बताया कि विपुल सैनी उसी पासवर्ड से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लॉगइन करता था, जिसका इस्तेमाल चुनाव आयोग के अधिकारी कर रहे थे। पूछताछ के दौरान सैनी ने मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले अरमान मलिक को भी अपना साथी बताया है। साथ ही उसने कबूल किया है कि तीन महीने में 10 हजार फर्जी वोटर आईडी बनाए।
चुनाव आयोग ने जांच एजेंसियों को दी सूचना
चुनाव आयोग ने नोटिस किया कि कुछ गलत हो रहा है। तब उसने इस मामले की सूचना कई जांच एजेंसियों को दी। जांच एजेंसियों ने सैनी के ठिकाने का पता लगाया और सहारनपुर पुलिस को सूचित किया। इस बीच, इलेक्शन कमिशन ने अपने डेटा सुरक्षित करने के कई उपाय किए और फिर आश्वस्त किया कि उनका डेटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है। दिल्ली की जांच एजेंसियां अब कोर्ट से सैनी को रिमांड पर लेंगी।
यूपी की यूनिवर्सिटी से किया है बीसीए
साइबर सेल और सहारनपुर क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने गुरुवार को सैनी को मचरहेड़ी गांव से गिरफ्तार किया है। सैनी ने हाल ही में यूपी के एक विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन पूरा किया है। पुलिस ने उसकी दुकान पर छापेमारी की है और हार्ड ड्राइव और कंप्यूटर जब्त किए हैं।
विस्तृत जांच बाकी है- एसएसपी
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सैनी के बैंक खाते में लाखों रुपये में बड़ी राशि की लेन देन हो रही थी। पुलिस ने यह भी पाया कि सैनी ने पिछले तीन महीनों में हजारों वोटर आईडी कार्ड बनाए थे। हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि वह इन मतदाता पहचान पत्रों का क्या करना चाहता था। सहारनपुर के एसएसपी एस चनप्पा ने कहा कि अभी तक, हम यह नहीं कह सकते कि वह इन कार्डों को क्यों बना रहा था या उसका इरादा क्या था। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले बहुत जांच की जानी है। पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान सैनी ने मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले अरमान मलिक को भी अपना साथी बताया है। साथ ही उसने कबूल किया है कि तीन महीने में 10 हजार फर्जी वोटर आईडी बनाए।
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