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CAA के विरोध में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों ने ऐसा करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से भाजपा सरकार के हाथ-पांव फूले हुए हैं। उच्चतम न्यायालय में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर सुनवाई के बीच बुधवार को पूर्वोत्तर के नौ विश्वविद्यालयों के छात्र संगठनों ने असम के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कक्षाएं ‘पूरी तरह से बंद’ करने का आह्वान किया था जिसके बाद यहां कक्षाएं प्रभावित रहीं। हालांकि इस दौरान शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षाएं संपन्न हुई क्योंकि परीक्षा को बंद से अलग रखा गया था।
तेजपुर विश्वविद्यालय, नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम महिला विश्वविद्यालय, असम कृषि विश्वविद्यालय, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, नगालैंड विश्वविद्यालय, राजीव गांधी विश्वविद्यालय और नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने कक्षाओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केन्द्र का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं देगा। न्यायालय ने इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का वक्त देते हुये कहा कि इस मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी। डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि सीएए को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। यूनिवर्सिटी ने आज कक्षाओं का बहिष्कार किया और यह प्रदर्शन तब तक चलेगा जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता है।
यूनवर्सिटी छात्रों का कहना है कि पूर्वोत्तर के 21 विश्वविद्यालय 26 जनवरी को इस नए कानून के विरोध में गुवाहाटी को ‘तिरंगा मार्च’ निकालेंगे। हालांकि शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षा चल रही है। गुवाहाटी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने परिसर से बाहर सीएए की राजपत्रित अधिसूचना की कॉपियां जलाईं और भाजपा तथा इस कानून के खिलाफ नारे लगाए। गुवाहाटी के कॉटन विश्वविद्यालय में भी धरने का आयोजन किया गया। हालांकि यहां कक्षाओं का बहिष्कार नहीं किया गया था। शिवसागर, सोनारी और धकुवाखाना के कॉलेजों में काले झंडे फहराए गए।
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