
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के एक छात्र ने नेत्रहीन लोगों के लिए एक चश्मा बनाया है। इस चश्मे की मदद से अंधे लोग आसानी से सड़क पर चल सकेंगे। इस चश्मा को बनाने वाले अनांग टाडर इंजीनियरिंग के छात्र हैं। इन्होंने गोगल फॉर ब्लाइंड (जी 4 बी) नामक एक गैजेट का आविष्कार किया है, जो एको लोकेशन की मदद से काम करता है जिसका इस्तेमाल चमगादड़ भी करते हैं। इस इनोवेशन के लिए अनांग को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा इसी साल 19 मार्च में नेशनल ग्रासरूट इनोवेटर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
इससे पहले भी अनांग के इस इनोवेशन के लिए दीनानाथ पांडे स्मार्ट इनोवेशन अवार्ड और कई सारे अवार्ड अन्य संस्थाओं के द्वारा मिल चुके हैं। इन्होंने अपना पहला चश्मा 2016 में तैयार किया था। इसके बाद अबतक इन्होंने 8 से ज्यादा चश्मे बनाए हैं। जो अपने पहले वाले चश्मे से बेहतर होते जा रहे हैं। इस चश्मे का टेस्ट भी किया गया है। इस टेस्ट के दौरान रिजल्द भी शानदार रहा। सभी अंधे लोगों ने कहा, अब हमारे पास डबल सेफ्टी है। पहली हमारी स्टीक और दूसरा ये चश्मा। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन उन्हें और बेहतर चश्में बनाना में मदद कर रहा है।

नेत्रहीनों द्वारा चश्मे की जोड़ी को पहना जा सकता है और कारों में पार्किंग सेंसर के समान प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए, उन्हें स्टिक का उपयोग किए बिना ही पास की वस्तुओं के बारे में सतर्क किया जा सकता है।
बता दें कि यह चश्मा एक सेंसर की तरह काम करता है। अगर ऑब्जेक्ट दाहिने तरफ है तो दाहिने तरफ वाइब्रेशन होता है और ओब्जेक्ट लेफ्ट साइड है लेफ्ट में वाइब्रेशन होता है और अगर ऑब्जेक्ट सेंटर में हो तो दोनों तरफ वाइब्रेशन होता है। जब ये चश्मा मार्केट में लॉन्च होगा तब देश और दुनिया भर के नेत्रहीनों के लिए बड़ी मदद साबित होगा।


मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि समर्थन में कोई कमी नहीं होगी और वह मशीन का विकास करने के लिए अपना समय और ऊर्जा पूरी तरह समर्पित कर सकें, जिससे कि दृष्टिहीन लोगों को खुशी मिल सके। हम नई अरुणाचल के लिए राज्य में नवाचार और समर्थन नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त संस्थागत तंत्र तैयार करेंगे।

अनांग ने 6 मार्च को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान प्रदर्शनी में भी भाग लिया था, जहां एनआईएफ, सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड इनिशियलिटी फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज एंड इंस्टिट्यूशंस (एसआरआईएसटीआई), ग्लोबल यूथ एक्शन नेटवर्क गयान) और यूनिसेफ उनके नवाचार से काफी प्रभावित हुए हैं।
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