लोकायुक्त में दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।  इस मामले में 3 कांस्टेबल को जेल भेज दिया गया है।  

लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर, कांस्टेबल इरशाद परवीन, कांस्टेबल सौरव भट्ट और कांस्टेबल इंद्रपाल सिंह के खिलाफ लोकायुक्त कोर्ट में चार्जशीट पेश की।  

चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस भी भेजा गया था।  इस नोटिस पर कांस्टेबल इरशाद, सौरभ भट्ट और इंद्रपाल सिंह कोर्ट में पेश हुए।  इन तीनों पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी।  लोकायुक्त कोर्ट ने इनकी जमानत याचिका खारिज कर इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। कोर्ट में पेश न होने पर दीपक ठाकुर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। दीपक ठाकुर की तरफ से कोर्ट में पेश न होने का कारण स्वास्थ्य खराब बताया गया।  अब बुधवार को दीपक ठाकुर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। 

भोपाल के लोकायुक्त कोर्ट में चार्जशीट पेश करने वाली पुलिस अधिकारी नीलम पटवा ने बताया कि साल 2012 में फरियादी गुलशन जौहर ने लोकायुक्त में तत्कालीन साइबर सेल के डीएसपी दीपक ठाकुर, कांस्टेबल इरशाद परवीन, कांस्टेबल सौरव भट्ट और कांस्टेबल इंद्रपाल सिंह के खिलाफ शिकायत की थी कि इन लोगों ने एक मामले में चालान पेश करने के लिए साढ़े तीन लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी।  जांच के बाद चारों के खिलाफ 2015 में एफआईआर दर्ज की गई। 

ये है पूरा मामला…

पुणे की रहने वाली गुलशन जौहर की बेटी अमेरिका में एक कंपनी में जॉब करती थी।  बेटी ने कंपनी का एक कैमरा जबलपुर में रहने वाले विक्रम राजपूत को ढाई लाख में सेल किया था।  कैमरे में कुछ दिक्कत आने पर विक्रम ने कंपनी में शिकायत की।  

बताया जाता है कि शिकायत प्रक्रिया में ही थी कि इसी दौरान विक्रम ने भोपाल साइबर सेल में मां-बेटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी।  पुलिस ने मां और बेटी को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया।  आरोपियों ने जेल में बंद मां-बेटी को बाहर निकालने और जल्द कोर्ट में मामले में चालान पेश करने के लिए साढे तीन लाख रुपए की डिमांड की।  यह डिमांड उनके रिश्तेदारों से की गई। 

डीएसपी साधना सिंह ने इस मामले की जांच की थी।  उनके रिटायर होने के बाद नीलम पटवा ने इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की। लोकायुक्त ने परिस्थितिजन्‍य साक्ष्य के आधार पर पाया कि दीपक ठाकुर और तीन अन्‍य पुलिसकर्मियों ने पद का दुरुपयोग कर रिश्वत मांगी। 

 साढ़े तीन लाख रुपए का चेक कैश कराने के लिए मां-बेटी के रिश्तेदार भोपाल की जिस बैंक में गए थे, उस समय 2 कॉन्स्टेबल की लोकेशन बैंक के पास मिली।  यह कॉन्स्टेबल दीपक ठाकुर के इशारे पर उस राशि को लेने के लिए गए थे।