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अर्मेनिया और अजरबैजान का युद्ध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अभी तक मारे गए लोगों की लाशों को भी दफ्नाया नहीं गया है और ना ही मैदान बिखरी लाशों को समेटा गया उससे पहले ही दुबारा की जंग होने का ऐलान हो चुका है। बता दें कि दोनों देश एक इलाके को लेकर युद्ध कर रहे हैं जिससे अब ये युद्ध तीसरे विश्व युद्ध को अंजाम दे सकता है। भयावह बात तो ये हैं कि इस जंग में अप्रत्यक्ष रूप से तुर्की ने ऐलान किया है कि वह अजरबैजान के समर्थन में है।
तुर्की के इस ऐलान के बाद कयास लगाया जा रहा है कि अजरबैजान की मदद के लिए तुर्की अपनी सेना भेजेगा जिसका मतलब है दुनिया सबसे बड़ी तबाही। इस तबाही की आग में घी डालने का काम करेगा रूस क्योंकि रूस भी अर्मेनिया के पक्ष में जंग में उतर सकता है। तुर्की के उपराष्ट्र पति फौत ओकताय (Fuat Okaty) ने आरोप भी लगाया है कि अर्मेनिया बाकू की जमीन पर कब्जाि कर रहा है। फौत ओकताय ने अमेरिका, फ्रांस और रूस की भी इस मामले में आलोचना की है।
अर्मेनिया और अजरबैजान की जंग का मुद्दा है नागोर्नो-काराबाख का इलाका। नागोर्नो-काराबाख इस क्षेत्र के पहाड़ी इलाके को अजरबैजान अपना बताता है, जबकि यहां अर्मेनिया का कब्जा है यह इलाका यह दोनों देश अपने अपने कब्जे में करना चाहते हैं। जैसे जम्मु-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान कई सालों से लड़ रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि रूस और अमेरिका सहित कई देश अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शांति स्थापित करने में लगे हुए हैं।
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