कोरोना वायरस शरीर पर हमला करता है और धीरे धीरे फेफड़ों को खाता है। जिससे सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है और जब फेफड़े गलना शुरू होते हैं तो मौत हो जाती है। शोध के मुताबिक वायरस भी अपना रूप बदलकर और जानलेवा होता जा रहा है। ऐसे में दुनियाभर में बनाई गई वैक्सीयन के इन वैरिएंट पर प्रभावीकरण को भी परखा जा रहा है। कौनसी वैक्सीन कोरोना वायरस पर कैसे असर करती है, इस पर शोध जारी है।


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट्स में जानकारी दी है कि भारतीय वैक्सी(न कोविशील्डज और कोवैक्सिन कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट के खिलाफ कुछ ही एंटीबॉडी तैयार कर पा रही हैं, लेकिन ये वैक्सी न कोरोना के अन्यर वैरिएंट पर प्रभावी हैं। बता दें कि कोरोना वायरस का बी.1.617 वैरिएंट पहली बार महाराष्ट्र  में पाया गया था।
ICMR और नेशनल इंस्टीिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वैज्ञानिकों ने अब तक कोरोना वायरस के विभिन्ने वैरिएंट बी.1.1.7 (ब्रिटेन), बी.1.351 (दक्षिण अफ्रीका), पी 2 वैरिएंट (ब्राजील) और बी.1.617 वैरिएंट पर जांचा है। इस समय भारत में बी.1.617 वैरिएंट बड़ी संख्यार में बढ़ता दिख रहा है। भारत देश के गांवों में यह सबसे ज्यादा फैल चुका है। गांवों कोरोना लोगों के फेफड़ों पर हमला कर रहा है।

भारत देश में वैसे तो बुजुर्गों और 45 साल से ऊपर वाले लोगों को वैक्सीन लगाई गई है।  
में इस समय दो वैक्सी न लगाई जा रही हैं कोविशील्डो और कोवैक्सि न। यह कोरोना वायरस के बी1 वैरिएंट के ब्लू प्रिंट पर डिजाइन की गई हैं। पिछले साल अप्रैल में बी1 देश में फैला सर्वाधिक स्ट्रे न था। दुनिया में वैक्सीान ट्रायल पर सामने आईं रिपोर्ट है कि वायरस में हो रहे विभिन्ना म्यूरटेशन उसे शरीर में इम्यूकन सिस्ट्म और एंटीबॉडी से बच निकलने में मदद करते हैं। कई लैब वैक्सी न विभिन्नश वैरिएंट पर कैसे प्रभावी है पर जांच कर रही है।