भारत की ये खौफनाक जगह आज भी खौफनाक है जिस पर ब्रिटिश भी हुकूमत नहीं कर पाए।
भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित नॉर्थ सेंटिनल द्वीप एक ऐसी जगह है जहां ब्रिटिश हुकूमत का राज नहीं चला। हाल ही में साल 2018 में यहां एक अमेरिकी मिशनरी जॉन ऐलन चाउ को यहां के आदिवासियों ने मार डाला था।

अमेरिकी मिशनरी की मौत की घटना ने एक बार फिर लोगों का ध्यान वहां के खौफनाक परिदृश्य की तरफ खींचा। जॉन ऐलन चाउ 17 नवंबर साल 2018 की रात गायब हो गए थे। इसके बाद अमेरिकी मिशनरी जॉन का शव लाने पुलिस गई थी, लेकिन आदिवासियों के बीच का खौफनाक मंजर देखकर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था।

दरअसल, जब पुलिस वहां गई तब तब आदिवासियों के हाथ में तीर-धनुष देखकर डर गई थी। दूरबीन से देखने पर पता चला कि वहां के आदिवासी तीर-कमान लेकर काफी गुस्से में थे। ऐसी स्थिति में पुलिस की हिम्मत नहीं हुई उन आदिवासियों से टकराने की। इस इलाके में जारवा और सेंटिनली नामक आदिवासी प्रजाति रहती है।

पुलिसवालों को इन आदिवासियों का खौफ होना लाजिम है। ये वो ही आदिवासी हैं जिनसे टकराने की हिम्मत अंग्रेजी हुकूमत में भी नहीं थी। ब्रिटिश हुकूमत ने कई बार इन रहस्यमयी आदिवासियों से टकराने की कोशिश की थी, लेकिन दो सदी तक राज करने के बाद भी अंग्रेज इन आदिवासियों पर कभी गुलामी की जंजीर न बांध पाए। भारत का हिस्सा होने से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने अंडमान-निकोबार के मूल निवासियों से टकराने की कई बार नाकाम कोशिश की थी।

ब्रिटिश प्रशासन ने इन आदिवासियों को क्रूर मानते हुए इनकी पूरी आबादी को खत्म करने का फैसला किया था। लेकिन सलाहकारों की समझाइश के बाद इन आदिवासियों को दुनिया के अन्य लोगों के साथ जोड़ने की कोशिश शुरू की गई। तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारी एम.वी. पोर्टमैन ने 1899 में अपनी किताब में इनके क्रूरता का जिक्र किया है।