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नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोहत्या को लेकर जबरदस्त टिप्पणी की है. इस बेंच ने हिंदू धार्मिक ग्रंथों का हवाले कहा है कि गाय की हत्या करने वाला व्यक्ति नरक में सड़ता है. इस पीठ ने केंद्र सरकार से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और इसे संरक्षित पशु घोषित करने के लिए देशव्यापी कानून बनाने के लिए कहा है.
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सभी धर्मों का सम्मान करना महत्वपूर्ण
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शमीन अहमद ने गाय के हत्या के आरोपी व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. जस्टिस अहमद ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म सहित सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए. यही मानता है कि गाय की रक्षा और सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि गाय दैवीय और प्राकृतिक भलाई का प्रतिनिधित्व करती है.
यहां का मामला
एक रिपोर्ट के अनुसार हाइकोर्ट की बैंच ने बाराबंकी के एक व्यक्ति के खिलाफ एक गाय की हत्या करने और मांस की बिक्री के आरोप में प्राथमिकी रद्द करने से मना कर दिया. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने और गाय को 'संरक्षित राष्ट्रीय पशु' घोषित करने के लिए भी कहा है.
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बताया गाय का महत्व
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुद्धिकरण और तपस्या के उद्देश्यों के लिए गाय के महत्व के भी बताया है. इसमें पंचगव्य- गाय से प्राप्त पांच उत्पाद दूध, मक्खन, दही, मूत्र और गोबर शामिल हैं. हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के हवाले से अदालत ने कहा कि गाय के पैर चार वेदों का प्रतीक हैं और उसके सींग देवताओं का प्रतीक हैं, उसका चेहरा सूर्य और चंद्रमा और उसके कंधे अग्नि का प्रतीक हैं.
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