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अफगानिस्तान द्वारा एयरस्पेस बंद करने के फैसले के बाद एयर इंडिया ने स्पष्ट किया है कि काबुल के लिए उसका ऑपरेशन ठप रहेगा। ऐसे में दिल्ली से एयर इंडिया की काबुल जाने वाली फ्लाइट जो पहले रात 8:30 बजे के बजाय 12:30 बजे उड़ान भरने वाली थी वह अब ऑपरेट नहीं होगी।
एयर इंडिया ने कंफर्म किया है कि ‘अफगानिस्तान का हवाई मार्ग बंद होने की वजह से वह फ्लाइट ऑपरेट नहीं कर सकते हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार ने एयर इंडिया से कहा है कि वह काबुल से आपातकालीन निकासी के लिए दो विमानों को स्टैंडबाय में रखे। एयर इंडिया ने काबुल से नई दिल्ली के लिए आपातकालीन संचालन के लिए एक दल तैयार किया है।
उधर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सभी उड़ानों को सस्पेंड कर दिया गया है। एक बयान में कहा गया है कि लोग हवाई अड्डे पर भीड़ लगाने से बचें।
वहीं अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के शासन के घुटने टेकने के बीच अमेरिका ने कहा है कि अपने नागरिकों, अपने मित्रों और सहयोगियों की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी के लिए वह काबुल हवाईअड्डे पर 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने महत्वपूर्ण सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की। हालांकि इनमें भारत शामिल नहीं था।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में 60 से अधिक देशों ने संयुक्त बयान जारी किया है जिसमें अफगानिस्तान में शक्तिशाली पदों पर आसीन लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे मानवीय जीवन और संपत्ति की रक्षा की जिम्मेदारी और जवाबदेही लें और सुरक्षा एवं असैन्य व्यवस्था की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाएं।
विदेश विभाग और रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘फिलहाल हम हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठा रहे हैं ताकि सैन्य और असैन्य विमानों के जरिए अमेरिकी लोग और उनके सहयोगी अफगानिस्तान से सुरक्षित निकल सकें।
इसमें कहा गया, ‘‘अगले 48 घंटों में, करीब 6000 सुरक्षाकर्मियों को वहां तैनात किया जाएगा। उनका मिशन लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने में मदद देना होगा और वे हवाई यातायात नियंत्रण को भी अपने कब्जे में लेंगे। कल और आने वाले दिनों में हम देश से हजारों अमेरिकी नागरिकों, काबुल में अमेरिकी मिशन पर तैनात स्थानीय लोगों और उनके परिवारों को निकालेंगे। बीते दो हफ्तों में विशेष वीजा धारक करीब 2,000 लोग काबुल से अमेरिका पहुंच चुके हैं।
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