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अफगानिस्तान में तालिबान के हाथ अमेरिका की बायोमेट्रिक डिवाइस लग गई है। ये डिवाइस विदेशी सुरक्षा बलों की सहायता करने वाले अफगानिस्तान के लोगों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। यह जानकारी अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने दी है। द इंटरसेप्ट की एक रिपोर्ट मुताबिक हैंडहेल्ड इंटरएजेंसी आइडेंटिटी डिटेक्शन इक्विपमेंट (HIDE) डिवाइस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। अमेरिकी अधिकारी इससे चिंतित हैं क्योंकि उन्हें डर है कि तालिबान द्वारा इन डेटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस डिवाइस के जरिए बायोमेट्रिक डेटा की पहचान होती है जैसे कि आईरिस स्कैन, फिंगरप्रिंट के साथ ही संबंधित इंसान को लेकर और अधिक जानकारियां। हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि अफगान आबादी पर इन डेटा से कितना समझौता किया गया है।
आर्मी स्पेशल ऑपरेशन से जुड़े एक अधिकारी ने इंटरसेप्ट को बताया है कि यह संभव है कि HIIDE डेटा को प्रोसेस करने के लिए तालिबान को अतिरिक्त उपकरणों की ज़रूरत हो। इसमें पाकिस्तान, तालिबान की मदद कर सकता है। तालिबान के ऐसा कोई टूल नहीं है जिससे वह इसे प्रोसेस कर सकता है लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पास ऐसे टूल हैं।
अमेरिकी सेना ने आतंक के खिलाफ लंबे वक्त से HIIDE डिवाइस का इस्तेमाल किया है। 2011 में पाकिस्तान में छिपे ओसामा बिन लादेन की पहचान करने के लिए भी बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया गया था। खोजी रिपोर्टर एनी जैकबसेन के मुताबिक अमेरिका का लक्ष्य आतंकियों और अपराधियों का पता लगाने के लिए अफगानिस्तान की 80 फीसद आबादी का बायोमेट्रिक डेटा जमा करना था।
ह्यूमन राइट्स फर्स्ट के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर वेल्तन चांग ने बताया है कि मुझे लगता है कि कभी इस बारे में नहीं सोचा गया कि अगर HIIDE जैसे डिवाइस गलत लोगों तक पहुंच जाएं तो क्या किया जाना चाहिए। ऐसे में अब इस पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है।
हालांकि तालिबान ने कई बार कहा है कि वह अफगान सरकार और विदेशी ताकतों के साथ काम करने वाले लोगों को कोई सजा नहीं देगा। वे लोग आम जिंदगी जी सकेंगे। लेकिन डिफेंस एनालिस्ट्स को तालिबान के इस वादे पर भरोसा नहीं है। ऐसे में अब देखना ये है कि तालिबान इन बायोमेट्रिक्स डिवाइसों के साथ क्या करता है।
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