अभी तक आपने कई शिव मंदिरों के महत्व एवं अनोखे पूजा विधान के बारे में सुना होगा। कई शिव मंदिरों में अलग—अलग तरह के शिवलिंग होते है तो कहीं मूर्ति होती है। लेकिन इस दुनिया में एक शिव मंदिर Rare Shiv Temple ऐसा भी है जहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे (Toe) की पूजा की जाती है। इस मंदिर के पीछे एक पौराणिक कथा भी है।

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यह शिव मंदिर माउंट आबू का अचलेश्वर महादेव (Achleshwar Temple) मंदिर है। यहां शिवजी के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा होती है। यह मंदिर माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूर उत्तर में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर बना हुआ है। यह पहली जगह है जहां शिव भगवान की प्रतिमा या शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती बल्कि उनके अंगूठे की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यहां के विशाल पर्वत भगवान शिव के अंगूठे की वजह से ही टिके हुए हैं। अगर शिव जी का अंगूठा न होता तो ये पर्वत नष्ट हो जाते।अचलेश्वर मंदिर (Achleshwar Mahadev) में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा होने के पीछे की एक पौराणिक कथा भी है। कहा जाता है कि एकबार अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा था। उस समय इस पर्वत पर नंदी जी भी थे। पर्वत हिलने की वजह से हिमालय पर तपस्या कर रहे भगवान शिव की तपस्या में विघ्न पहुंचने लगा और उनकी तपस्या भंग हो गई। शिव जी ने नंदी को बचाने के लिए हिमालय से ही अपने अंगूठे को अर्बुद पर्वत तक पहुंचा दिया और पर्वत को हिलने से रोक कर स्थिर कर दिया।इसी वजह से इस पर्वत पर बने इस मंदिर में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। अचलेश्वर मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। इसकी प्राचीनता को मंदिर परिसर में लगा चंपा का पेड़ भी दर्शाता है।