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देश के एक राज्य में अचानक से मुस्लिमों की फर्टिलिटी बढ़ गई है। यह राज्य कोई और नहीं बल्कि असम है जहां के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को परिवार नियोजन की नीति अपनाने की सलाह दे रहे हैं, वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट दूसरी तस्वीर पेश कर रही है। साल 2005-06 में हुए हेल्थ सर्वे के मुकाबले 2019-20 में राज्य में मुस्लिमों की प्रजनन दर में नाटकीय ढंग से कमी देखने को मिली है। असम में मुस्लिम समुदाय में कुल प्रजनन दर 2.4 है, जबकि साल 2005-06 में यह 3.6 थी। इसका मतलब है असम में जहां पहले एक मुस्लिम महिला औसत 3.6 बच्चों को जन्म दे रही थी, वह घटकर 2.4 पर आ गई है। वहीं, इसी अवधि में हिंदुओं की प्रजनन दर में 0.4 की कमी आई है।
हालांकि, मुस्लिम समुदाय में प्रजनन दर (2.4) अभी भी हिंदुओं (1.6), इसाई (1.5) से अधिक है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NHFS-5) के अनुसार देश की ओवरऑल कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate TFR) 2.2 है। NHFS-5 के आंकड़ों यह भी दर्शाते है कि धर्म की तुलना में सांस्कृतिक और भौगोलिक कारकों के साथ-साथ विकास का स्तर भी प्रजनन क्षमता के लिए अधिक महत्वपूर्ण निर्धारक हैं। असम में मुसलमानों के बीच 2.4 की प्रजनन दर उस स्तर (2.1) से थोड़ी ही अधिक है जिसकी सलाह डेमोग्राफर दे रहे हैं। टीएफआर का स्टैंडर्ड रेट बच्चों के जन्म की उस संख्या से है जिससे देश में जनसंख्या का स्तर स्थिर बना रहे।
इस प्रकार बिहार में खराब विकास सूचकांकों के साथ, हिंदुओं सहित सभी समुदायों की प्रजनन दर (2.9) असम और अधिकतर अन्य राज्यों में मुसलमानों की तुलना में अधिक है। इसके दूसरी तरफ, जम्मू और कश्मीर में उच्च विकास सूचकांकों के साथ मुसलमानों की प्रजनन दर (1.45) 8 बड़े राज्यों में हिंदुओं की तुलना में कम है। जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की भी प्रजनन दर 1.32 कम है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार नौ राज्यों में से सिर्फ दो राज्यों में ही मुस्लिम समुदाय में प्रजनन दर रिप्लेसमेंट रेट (निर्धारित मानक) से अधिक है। ये राज्य केरल (2.3) और बिहार (3.6) हैं। ये राज्य विकास के मामले बिल्कुल दो छोर हैं। ये दर्शाता है कि एक विशिष्ट समुदाय के कुल प्रजनन दर में, सांस्कृतिक और भौगोलिक कारकों के अलावा विकास का स्तर भी मायने रखता है।
केरल में, उच्च साक्षरता के बावजूद, मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता कम है। इसी तरह, असम में, मुसलमान सबसे अधिक सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े धार्मिक समुदाय हैं। NFHS-5 राज्य की रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की प्रजनन क्षमता असम सहित हर राज्य में उनके शहरी समकक्षों की तुलना में अधिक है। असम में मुस्लिम ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक अनुपात में पाए जाते हैं। NFHS-5 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी संख्या आबादी का 36.6% थी वहीं, शहरी क्षेत्रों में वे आबादी का सिर्फ 18.6% थे। प्रजनन दर पर निम्न शैक्षिक स्तर का भी प्रभाव पड़ता है।
असम पर NFHS-5 की रिपोर्ट के अनुसार, बिना स्कूली शिक्षा वाली महिलाओं में 12 या इससे अधिक साल स्कूली शिक्षा हासिल करने वाली महिलाओं की तुलना में औसतन 0.8 अधिक बच्चे थे। 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदुओं के 78% की तुलना में असम में मुसलमानों का साक्षरता स्तर 62% था। हिंदुओं में 5% की तुलना में मुसलमानों में ग्रेजुएशन या उससे अधिक पढ़ाई करने वालों की संख्या मुश्किल से 1.7% थी।
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