अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अब तालिबानियों में तख्त की लड़ाई तेज हो गई है। नई सरकार में प्रमुख पद पाने के लिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर गुट और हक्कानी नेटवर्क के बीच घमासान छिड़ गया है। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार ताजपोशी को लेकर ही हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी और खलील हक्कानी की मुल्ला बरादर और मुल्ला याकूब के साथ झड़प भी हुई है। 

सूत्रों के अनुसार काबुल में तालिबान सरगनाओं के बीच फूट इतनी बढ़ गई कि गोलीबारी तक होने लगी है। इस दौरान हुई गोलीबारी में तालिबानी मुखिया मुल्ला अब्दुल गनी बरादर घायल हो गया है। उसका इलाज पाकिस्तान में किया जा रहा है। यही कारण रहा कि तालिबान को सरकार का गठन टालना पड़ा। गौरतलब है कि हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षामंत्री का पद मांग रहा है, जबकि तालिबान यह देने को तैयार नहीं है। रिपोट्र्स का दावा है कि मामले को शांत कराने के लिए पाकिस्तान को खुफिया एजेंसी प्रमुख जनरल फैज हमीद को काबुल भेजा गया है।

मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख की भूमिका निभाना चाहता है। उसका काम तालिबान के फील्ड कमांडरों के एक विशाल नेटवर्क की देखरेख करना होगा। तालिबान सरकार में यह पद बेहद शक्तिशाली और सम्मानित माना जाता है। सूत्रों के अनुसार तालिबान ने कबायली सरदारों से चंदे के रूप में बड़ी रकम एकत्रित की है। राशि का उपयोग अफगानिस्तान फतह के बाद होना था। अब काबुल पर भी तालिबान का कब्जा हो चुका है तो इस पैसे में हक्कानी नेटवर्क हिस्सा मांग रहा है। वही याकूब हक्कानी नेटवर्क को कुछ नहीं देना चाहता। अफगानिस्तान पर कब्जा करने से पहले तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व ने हक्कानी नेटवर्क को सरकार में कुछ अहम पद देने की हामी भी भरी थी। अनस हक्कानी को काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद राजधानी की सुरक्षा का प्रभार भी सौंपा गया था। इस फैसले से मुल्ला याकूब काफी नाराज है।