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एक सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बीती जुलाई में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिक्सिंग को लेकर स्टडी की सिफारिश की थी। अब खबर है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की तरफ से इस स्टडी को हरी झंडी मिल गई है। हालांकि, इससे पहले दो अलग-अलग वैक्सीन के मिश्रण को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक स्टडी की थी। ICMR ने कहा था कि दो कोविड वैक्सीन के मिलाने से बेहतर सुरक्षा परिणाम मिले हैं।
DCGI ने कोविड वैक्सीन मिक्सिंग की स्टडी को अनुमति दे दी है। यह स्टडी वेल्लूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में होगी। इस बात की जानकारी नीति आयोग के डॉक्टर वीके पॉल ने मंगलवार को हुई प्रेस ब्रीफिंग के दौरान दी थी। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की एक सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 29 जुलाई को इस स्टडी की सिफारिश की थी। कोरोना के खिलाफ दो अलग-अलग वैक्सीन के मिश्रण के इस्तेमाल को लेकर चर्चा लंबे समय से जारी है।
हालांकि, कहा जा रहा है कि यह स्टडी ICMR के अध्ययन से अलग होगी। यह स्टडी उत्तर प्रदेश में हुई थी। जहां लोगों को पहले कोविशील्ड का डोज दिया गया था। जबकि, 6 सप्ताह की अवधि के बाद दूसरे डोज के रूप में कोवैक्सीन दी गई। हेटरोलॉगस ग्रुप में कुल 18 प्रतिभागी थे। इनमें से दो प्रतिभागी अध्ययन में शामिल नहीं होना चाहते थे, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया था। इनमें से 11 पुरुष और 7 महिलाएं थीं। प्रतिभागियों की औसत उम्र 62 वर्ष थी।
ICMR ने कहा था कि एडीनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म आधारित वैक्सीन के बाद निष्क्रिय वायरस आधारित वैक्सीन सुरक्षित थी। साथ ही इस प्रक्रिया से बेहतर इम्युनोजेनेसिटी प्राप्त हुई थी। ICMR के डॉक्टर समिरन पांडा ने कहा था, ‘हमने हेटरोजेनस ग्रुप और होमोलोगस ग्रुप की तुलना की थी। हमने पाया कि अगर कोई पहले कोविशील्ड और बाद में कोवैक्सीन प्राप्त करता है, तो इम्यून प्रतिक्रिया बेहतर होती है।
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