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त्रिपुरा विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 89.8 प्रतिशत वोट पडऩे के साथ राज्य में भारी मतदान की परम्परा बरकरार रही। मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीराम तरणीकांत ने बताया कि करीब 519 मतदान केंद्रो पर ईवीएम और वीवीपैट में तकनीकी गड़बड़ी के कारण मतदान की प्रक्रिया में विलंब हुआ तथा कुछ स्थानों पर देर रात तक वोट डाले गये। अंतिम निर्वाचन दल रात एक बजे वापस लौटा और ईवीएम को सुपुर्द किये जाने का काम तड़के पूरा हुआ। उन्होंने बताया कि सभी ईवीएम को विभिन्न जिलों के स्ट्रांगरुम में पूरी सुरक्षा के साथ पर्यवेक्षकों एवं राजनीतिक दलों के एजेंटो की मौजूदगी में रखा गया है।

बता दें कि उत्तरी त्रिपुरा के ढलाई जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में आधी रात तक मतदाताओं ने वोट डाला और मतदान की समाप्ति तक करीब 89 प्रतिशत मत पड़े। चुनाव अधिकारियों के मुताबिक तकनीकी गड़बडिय़ों और मतदान अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच अव्यवस्था के कारण इस समय तक वोट डाले गये। जिला निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि रायमावैली विधानसभा क्षेत्र में 88.05 प्रतिशत , कमालपुर में 89.05 प्रतिशत , सूरमा में 88.80 प्रतिशत , अंबास्सा में 91.11 प्रतिशत , करमचर्रा में 81 प्रतिशत और चवमानु में 76.73 प्रतिशत मतदान हुआ। बहरहाल सभी राजनीतिक दलों ने तमाम दिक्कतों के बावजूद अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया है।

गौरतलब है कि 2013 के चुनाव में त्रिपुरा में 91.82 प्रतिशत मतदान हुआ था। त्रिपुरा में पहली बार विधानसभा चुनाव 1967 में हुए थे। तब विधानसभा की कुल 30 सीटें थी। उस वक्त 74.32 फीसदी मतदान हुआ था। इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव 1972 में हुए। उस दौरान 60 सीटों के लिए मतदान हुआ था। कुल वोट पड़े थे 67.36 फीसदी। अगला विधानसभा चुनाव 1977 में हुआ। उस वक्त कुल 79.51 फीसदी वोटिंग हुई थी। 1983 के विधानसभा चुनाव में 83.03, 1988 में 85.75, 1993 में 81.18, 1998 में 80.84, 2003 में 78.71 और 2008 में 91.22 फीसदी मतदान हुआ था। अगर वोटिंग ट्रेंड को देखें तो त्रिपुरा में 1972 में कम मतदान हुआ, लेकिन इसके बाद 1988 तक लगातार मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी होती रही।

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