देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के 37.15 प्रतिशत बच्चे (children with smartphones) हमेशा या अक्सर स्मार्ट फोन के उपयोग के कारण एकाग्रता के स्तर में कमी का अनुभव करते हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी (Smriti Irani) ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के देश के सभी जोन से 5 हजार नमूने के आकार के साथ बच्चों द्वारा इंटरनेट एक्सेसिबिलिटी (internet accessibility) वाले मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों के उपयोग व उसके प्रभाव (शारीरिक, व्यवहारिक और मनो-सामाजिक) पर एक अध्ययन किया है।

अध्ययन के अनुसार, 23.80 प्रतिशत बच्चे सोने से पहले बिस्तर पर रहते हुए स्मार्ट फोन (smartphones) का उपयोग करते हैं। इसका बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुचित समय पर स्मार्ट फोन का उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। ऐसा ही एक प्रभाव बच्चों में एकाग्रता के स्तर में कमी है। अध्ययन के अनुसार, 37.15 फीसदी बच्चे, हमेशा या अक्सर, स्मार्ट फोन (smartphones) के उपयोग के कारण एकाग्रता के स्तर में कमी का अनुभव करते हैं।

एनसीपीसीआर (NCPCR) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, यह सिफारिश करता है कि देश के क्षेत्र में सभी वर्गों के लिए, एक बड़े हिस्से को बच्चों के लिए एक खेल के मैदान की जरूरत है। बच्चों को खेल और खेल में खुद को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। एक अध्ययन के अनुसार कोविड महामारी में ऐसे मामलों में और बढ़ोत्तरी हुई है।