1971 में भारत की पाकिस्तान पर स्वर्णिम विजय के आज 50 साल पूरे हो गए हैं। ये वो जीत है जिसे सैन्य इतिहास में भारतीयों की वीरता और बहादुरी को याद किया जाता है। भारत ने मात्र 13 दिन के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टिका दिए थे।

इस युद्ध के नतीजे ने दक्षिण एशिया के नक्शे को हमेशा हमेशा के लिए बदल दिया और विश्व के मानचित्र पर बांग्लादेश नाम के नए राष्ट्र का उदय हुआ, साथ ही इस युद्ध के परिणामस्वरूप पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। इस युद्ध में विश्व ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के नेतृत्व और भारत के आर्मी चीफ सैम मानकेशॉ का शौर्य देखा। इसके अलावा रणभूमि में अनगिनत भारतीय सैनिकों ने अभूतपूर्व पराक्रम का परिचय दिया। उनमें से ही एक नाम ऑफिसर इयान कारदोजो का भी आता है

इयान कारदोजो पांचवीं गोरखा राइफल्स के मेजर जनरल थे। 1971 की भारत-पाक जंग के दौरान एक वाकया ऐसा आया जब मेजर जनरल इयान कारदोजो को खुद ही अपना पैर काट देना पड़ा। मेजर जनरल इयान कारदोजो ने में रोंगटे खड़े कर देने वाले उस युद्ध का आंखों देखा अनुभव साझा किया था।

मेजर जनरल इयान कारदोजो ने बताया था कि 1971 के युद्ध की बात है। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान यानी कि आज के बांग्लादेश में हेली की लड़ाई चल रही थी। भारत की सेना तत्कालीन पाकिस्तान की सीमा के अंदर थी। इंडियन आर्मी पाकिस्तानियों को शिकस्त देने के करीब पहुंच चुकी थी।

मेजर जनरल इयान कारदोजो की गोरखा राइफल्स सिलहट में युद्ध लड़ रही थी, जबकि कारदोजो डिफेंस सर्विस कॉलेज वेलिंग्टन में ट्रेनिंग ले रहे थे। युद्ध के दौरान इस बटालियन के सेकेंड कमांडिंग ऑफिसर वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बाद मेजर जनरल इयान कारदोजो को उनका स्थान लेने के लिए भेजा गया था।

इस दौरान लड़ाई चल रही थी। एक ऑपरेशन के दौरान मेजर जनरल इयान कारदोजो का पैर लैंडमाइन पर पड़ा और तेज धमाका हुआ। ​इसके बाद कुछ क्षण के लिए उनका दिमाग सुन्न हो गया। कुछ देर बाद जब होश में आए तो उनका पांव बुरी तरह से जख्मी था।

गोरखा राइफल्स में होने के कारण उसके पास खुखरी रहा करती थी। खुखरी लगभग एक फीट लंबी एक तेज कटार होती है। इयान कारदोजो ने अपने साथ मौजूद एक दूसरे गोरखा जवान से कहा कि वह उनका पैर काट दे, लेकिन वह गोरखा सैनिक इससे इनकार कर गया।

इसके बाद मेजर जनरल इयान कारदोजो ने जो किया वो इतिहास में अमर हो गया। उन्होंने अपनी ही खुखरी से अपने पैर को काट डाला। इसके बाद एक पाकिस्तानी डॉक्टर मेजर मोहम्मद बशीर ने उनका ऑपरेशन किया। मेजर जनरल इयान कारदोजो कहते हैं कि उस समय विचित्र स्थिति पैदा हो गई जब मुझे खून की जरूरत पड़ी।