ऑक्सीजन की कमी से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में सोमवार सुबह 5 से 7 बजे के बीच 10 कोरोना मरीजों की मौत हो गई।  ये सभी डी ब्लॉक के कोविड वार्ड में भर्ती थे।  अल सुबह अचानक ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम हुआ और आईसीयू में भर्ती मरीजों को घबराहट होने लगी।  इसे देख वार्ड का नर्सिंग स्टाफ चीखने-चिल्लाने लगा।  अफरा-तफरी मच गई। 

कुछ नर्सों ने अपने परिचित मरीजों के परिजन को सूचना दी तो वे दौड़ते-भागते कोविड डी-ब्लॉक के चैनल गेट पर आ गए।  यहां ताला लगा था।  वे चिल्लाए कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है, हमें भीतर जाने दो।  उन्हें देखकर गेट पर मौजूद गार्ड घबराकर अंदर भाग गया।  कुछ परिजन अपनों की जान बचाने के लिए इमरजेंसी में रखे छोटे सिलेंडर उठा लाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।  कुछ मरीज दम तोड़ चुके थे।  इसके बाद परिजन ने हंगामा शुरू कर दिया। 

इन्हें रोकने पुलिस तैनात करनी पड़ी।  पड़ताल में घटना की बड़ी वजह पता चली। वो ये कि जब ऑक्सीजन प्रेशर डाउन हुआ, तब पीपुल्स प्रबंधन ने तुरंत इसकी सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं दी।  प्रशासन को जब सूचना मिली, तब उसने जंबो सिलेंडर अस्पताल पहुंचाए और प्रेशर मेंटेन कराया।  यदि और देर हो जाती तो वार्ड में मौजूद 40 अन्य मरीजों की जान चली जाती। फिलहाल मामले में पीपुल्स मैनेजमेंट का कहना है कि सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की कमी से मौत की झूठी खबरें चल रही हैं।  

सप्लाई कुछ देर के लिए कम हुई थी, लेकिन थोड़ी देर में ठीक कर ली गई थी।  दूसरी ओर, पीपुल्स हॉस्पिटल से दिनभर एक-एक कर शव निकलते रहे। जब मीडियाकर्मी वहां पहुंचे, तो कुछ देर के लिए शवों को निकालने का काम रोक दिया गया।  यहां से 10 शव सुभाषनगर विश्राम घाट पहुंचे।  बता दें कि प्रदेश में बीते 13 दिन में 56 मरीज ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ चुके हैं।