कंफेडरेशन फॉर ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने मांग की है कि ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के खिलाफ राजद्रोह की कार्यवाही की जाए, जिसने शुक्रवार को नगालैंड के एक उपभोक्ता से यह कह दिया था कि वह उस राज्य में सेवाएं नहीं दे सकता क्योंकि यह स्थान ‘भारत के बाहर’ है। सीएआईटी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह इस ‘गंभीर मामले’ को गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाएगा।

व्यापारी संघ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, ‘यह हतप्रभ करने वाला और अविश्वसनीय है। नगालैंड को ‘भारत से बाहर’ बताकर फ्लिपकार्ट ने न केवल नगालैंड और पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं का अपमान किया है, बल्कि हर भारतीय को आहत किया है।’ उन्होंने इस मामले में ट्वीट करते हुए टिप्पणी को ‘शर्मनाक कृत्य’ बताया।

सीएआईटी ने अपने बयान में कहा, ‘…कल वे लेह लद्दाख को भारत के बाहर का हिस्सा बता सकते हैं। फ्लिपकार्ट के बयान ने भारत की संप्रभुता को चुनौती दी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ साथ ही कहा गया, ‘इस तरह के गंभीर और बेतुके बयान के लिए कोई माफी स्वीकार नहीं की जा सकती जो केवल कोई दुश्मन ही दे सकता है।’

ई-कॉमर्स कंपनी अपनी ‘बिग बिलियन सेल’ का विज्ञापन करने के बाद उस समय विवाद में घिर गई जब कोहिमा के एक उपभोक्ता ने फ्लिपकार्ट के फेसबुक पेज पर सवाल पूछा कि वेबसाइट नगालैंड में अपने उत्पादों की डिलीवरी क्यों नहीं कर रही। इस सवाल पर फ्लिपकार्ट के आधिकारिक हैंडल से जवाब दिया गया, ‘यह सुनकर खेद हुआ। हम अपनी वेबसाइट पर खरीदारी को लेकर आपकी रुचि की सराहना करते हैं। बहरहाल, विक्रेता भारत के बाहर हमारी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं।’

इसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया होते ही फ्लिपकार्ट ने तत्काल अपनी टिप्पणी को हटा दिया और गड़बड़ी होने के लिए माफी भी मांगी, हालांकि सोशल मीडिया यूजर पहले ही स्क्रीनशॉट ले चुके थे जिसे सोशल मीडिया पर काफी सर्कुलेट किया जाता रहा। कंपनी ने फेसबुक पर की गई एक पोस्ट में कहा, ‘पूर्व में अनजाने में हुई गलती के लिए हमें बहुत खेद है। हम नगालैंड समेत पूरे देश में अपनी सेवाएं सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं। हमें आपके साथ जुड़ने और अब उपलब्ध विकल्प मुहैया कराने में खुशी हो रही है।’

हालांकि, सीएआईटी का कहना है कि फ्लिपकार्ट के कर्मचारी की टिप्पणी को ‘व्यक्तिगत नजरिया’ कहकर बहाना नहीं बनाया जा सकता, और ऐसा लगता है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से ही यह ‘सिखाया’ गया होगा। बयान में यह भी कहा गया है, ‘यह देश के दूरदराज के क्षेत्रों को लेकर कंपनी की मानसिकता को भी दर्शाता है जहां विक्रेता सेवाएं प्रदान करना उसके लिए लाभदायक नहीं है।’