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झारखंड में हर 10 लाख की आबादी पर 12,700 लोग मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं। इनमें से 80 फीसद से ज्यादा लोग इस चंगुल से निकल नहीं पाते हैं। यह आकड़ा नीति आयोग की रिपोर्ट ने जारी किया है। नीति आयोग की सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में झारखंड देश में चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम है। यहा हर 10 लाख पर 57,400 लोगों की तस्करी होती है। दूसरी तरफ सबसे बेहतर स्थिति अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार और नागालैंड की है। यहा एक भी मानव तस्करी के मामले सामने नहीं आए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रति 10 लाख की आबादी में औसतन 0.46 फीसद यानी 4600 लोग मानव तस्करी का शिकार होते हैं। वहीं झारखंड में यह आकड़ा 1.27 फीसद है। यानी हर साल 12,700 लोग इसके शिकार होते हैं। इस प्रकार राज्य का औसत राष्ट्रीय औसत से 0.81 फीसद ज्यादा है। ऐसे में मानव तस्करी को लेकर राज्य में चलाए जा रहे अभियान पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं।
राज्य में संथाल समेत सिमडेगा, गुमला, खूंटी व अन्य मामलों में मानव तस्करी के मामले सामने आते हैं। यहा दलाल बच्चों के साथ-साथ लड़कियों को भी बाहर काम दिलाने के नाम पर बहला-फुसला कर ले जाते हैं। इनसे महानगरों में काम कराया जाता है। इसके लिए बकायदा कई प्लेसमेंट एजेंसी भी सक्रिय हैं। वहीं कुछ बच्चों को राज्य के दूसरे शहरों में भी काम कराया जाता है। आए दिन किसी न किसी रेलवे स्टेरशन से पुलिस की टीम तस्करी के लिए ले जाए जा रहे बच्चों को रेस्क्यू भी करती है।
टॉप-10 राज्य हर दस लाख पर सबसे ज्यादा तस्करी
मिजोरम - 57,400
गोवा - 36,800
दिल्ली - 22,200
झारखंड - 12,700
राजस्थान - 12,100
तेलंगाना - 11,800
मणिपुर - 10,300
असम - 9500
आध्र प्रदेश - 6500
महाराष्ट्र- 5500
टॉप-10 राज्य जहां हर दस लाख पर सबसे कम तस्करी
जम्मू-कश्मीर - 100
उत्तर प्रदेश - 300
पंजाब - 300
गुजरात - 300
हरियाणा - 800
तमिलनाडु - 2,800
उत्ताराखंड - 3,600
तीन राज्यों में एक भी मानव तस्करी के मामले दर्ज नहीं, इनमें नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार शामिल हैं।
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