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नागा अलगाववादी संगठन एनएससीएन-के (NSCN-K) ने संघर्षविराम घोषित कर केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए संपर्क किया है। दुर्दात चरमपंथी निकी सुमी के नेतृत्व वाले इस संगठन ने 2001 में केंद्र के साथ संघर्षविराम समझौता किया था लेकिन 2015 में वह उससे अलग हट गया। संगठन (NSCN-K) ने जिस समय समझौते से अलग हटने का फैसला किया था उस समय उसके प्रमुख एसएस खापलांग थे।
गृह मंत्रालय के अनुसार भारतीय मूल के नागा नेताओं की अगुआई वाला यह आखिरी संगठन है जो केंद्र से चल रही शांति वार्ता से दूर है। इस संगठन (NSCN-K) के नेता म्यांमार में रहकर कार्य कर रहे हैं। दुर्दात चरमपंथी सुमी 2015 में मणिपुर में सेना के 18 जवानों के हत्या मामले का मुख्य आरोपी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उस पर दस लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है।
सुमी ने बयान जारी कर कहा है कि एनएससीएन-के (NSCN-K) कई वर्षों से नगा मामले के सम्मानजनक राजनीतिक समाधान के लिए प्रयास कर रहा है। संगठन ने नगा लोगों के बीच मामले के जल्द समाधान के लिए सहमति भी बना ली है। एनएससीएन-के (NSCN-K) को जानकारी है कि केंद्र सरकार नगा मामले के समाधान के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसके लिए वह नागा मामले से जुड़े कई संगठनों से बात भी कर रही है।
ऐसी स्थिति में एसएससीएन-के (NSCN-K) ने फैसला किया है कि वह शांति वार्ता का समर्थन करे। इस सिलसिले में संगठन के नेताओं का केंद्र सरकार के साथ संपर्क बना हुआ है। संगठन (NSCN-K) ने तत्काल प्रभाव से संघर्षविराम लागू कर दिया है। अब वह केंद्र सरकार की ओर से जवाब का इंतजार कर रहा है। नागा मामले का समाधान होने से नागा समुदाय के व्यापक हितों के लंबित मामलों की रक्षा हो पाएगी।
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