नागालैंड में सत्तारूढ़ पीपल्स डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीए) और मुख्य विपक्षी पार्टी नागा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने सर्वदलीय सरकार- नागालैंड यूनाइटेड गवर्नमेंट की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। उनका कहना है कि नागा राजनीतिक समस्या के स्थायी शांतिपूर्ण समाधान के लिए उन्होंने आपसी प्रतिद्वन्द्विता को भुला कर हाथ मिलाने का फैसला किया है।

एनपीएफ वर्ष 2018 में चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो गया था। लेकिन साथ ही सवाल उठने लगे हैं कि आखिर विपक्ष-शून्यता की स्थिति पहले से ही उग्रवाद और दूसरी समस्याओं से जूझ रहे राज्य के आम लोगों के हितों के लिए नुकसानदेह तो नहीं साबित होगी।

इस पूर्वोत्तर राज्य में सर्वदलीय सरकार के गठन का यह दूसरा मौका होगा। इससे पहले वर्ष 2015 में विपक्षी कांग्रेस के आठ विधायकों के सत्तारूढ़ नागा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल होने पर ऐसी सरकार बनी थी।

सत्तारूढ़ पीडीए के घटक दलों - बीजेपी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेस पार्टी (एनडीपीपी) और दो निर्दलीय विधायकों ने राजधानी कोहिमा में आयोजित एक बैठक में आम राय से सर्वदलीय सरकार के गठन का फैसला किया।

संसदीय कार्य मंत्री नेबा क्रोनू बताते हैं, "बैठक में प्रमुख विपक्षी पार्टी एनपीएफ को प्रस्तावित नागा यूनाइटेड गवर्नमेंट में शामिल करने की औपचारिकताओं पर विचार-विमर्श कर इस प्रस्ताव को आम राय से स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उप-मुख्यमंत्री यानथूंगो पैट्टन और विपक्ष के नेता टीआर जेलियांग और एनपीएफ और उसके सहयोगी के अध्यक्षों ने हस्ताक्षर किए हैं।"