चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी बनाने के मामले में एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) को अहम जानकारी मिली है। गाड़ियों को चोरी करने के बाद गिरोह के सदस्य उन्हें उत्तर प्रदेश के मेरठ में लेकर जाते थे। जहां पर सोतीगंज इलाके में दो से तीन घंटे में गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर से लेकर अन्य पा‌र्ट्स के नंबर भी बदल दिए जाते थे।

 हैरानी की बात यह है कि गिरोह के सदस्य चोरी की गाड़ी को वहां तक लेकर जाते थे और फिर वापस लेकर भी आ जाते थे, लेकिन इस बीच वह कभी भी रास्ते में पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपित मेन हाईवे के बजाय गांव के रास्तों से गाड़ियां लेकर जाते थे। मेरठ में पहुंचने के बाद वहीं के रहने वाले शरीक, हफीज और नफीज पूरी मदद करते थे। नंबर बदलने के अगर उस गाड़ी की मेरठ में डिमांड है तो तीनों आरोपित गाड़ी को वहीं पर रख लेते थे और ग्राहक तलाश कर उसे बेच देते थे। 

गाड़ी को बेचने से पहले वह ग्राहक को बता देते थे कि यह गाड़ी बैंक के माध्यम से खरीदी गई है। इसलिए सस्ती बेच रहे हैं। इसकी सर्विस एजेंसी के बजाय बाहर मिस्त्री से करानी होगी। दरअसल, गिरोह के सदस्यों को पता था कि यदि गाड़ी को एजेंसी पर लेकर गए तो वहां पर इंजन और चेसिस नंबर से हुई छेड़छाड़ का पता चल सकता है। 

यह पूरा गिरोह महम निवासी अमित की देखरेख में काम करता था। इसमें सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी गई थी। गौरतलब है कि एसटीएफ ने चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी बनाने के मामले में अभी तक आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि मेरठ के रहने वाले तीन आरोपितों समेत कई फरार चल रहे हैं।

जांच के दौरान एसटीएफ ने महम एसडीएम कार्यालय से 2017 से जुलाई 2020 तक का रिकार्ड मांगा था। इसमें पता चला कि इस अवधि के दौरान 562 गाड़ियों की महम एसडीएम कार्यालय में बैकलॉग में एंट्री की गई है। जिसमें 56 गाड़ियां सोनीपत अथॉरिटी की भी शामिल है। जब इन गाड़ियों का मूल फाइल तलाशी गई तो वह गायब मिली। अब यह सभी फाइलें गिरोह के सदस्यों ने फर्जीवाड़ा कर गायब की गई या कोई अन्य वजह रही है। इसकी गहनता से जांच की जा रही है।

यूं तो गिरोह के सदस्य अपने लोगों से लग्जरी गाड़ियां चोरी कराते थे, लेकिन कुछ गाड़ियां नगालैंड से भी चोरी कर मंगाई गई थी। नगालैंड के दीमापुर निवासी किखेतो अचूमी उर्फ केतु वहां से गाड़ियां चोरी करता था। जिसके बाद महम निवासी अमित को गाड़ी बेच देता था। वह फॉ‌र्च्यूनर गाड़ी 10 लाख, इनोवो 8 लाख, स्कार्पियो और क्रेटा 5 लाख और ब्रेजा व अन्य छोटी गाड़ी 3 लाख में खरीद लेते थे।

इसके बाद उनकी फर्जी आरसी तैयार कर फॉ‌र्च्यूनर को 20 से 25 लाख, इनोवा 15 से 20 लाख, स्कार्पियो व क्रेटा 10 से 15 लाख, ब्रेजा व अन्य छोटी गाड़ी 4 से 6 लाख में बेच देते थे। खास बात यह है कि गिरोह के सदस्यों ने जितनी भी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी बनवाई उस सभी के नंबर भी वीआइपी श्रेणी के थे। जैसे 0047, 0786, 1313, 0222, 0888, 0105, 3333, 0123, 9990 आदि।