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4 दिसंबर को नागालैंड के मोन जिले (Mon district) के ओटिंग गांव में 21
पैरा स्पेशल फोर्स के कमांडो द्वारा 13 नागरिकों की नृशंस 'हत्या' के बाद
से 'कठोर' सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को निरस्त करने की मांग
तेज हो गई है।
नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा गोलीबारी की घटना का मुद्दा उठाते हुए, जिसमें 13 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, असम कांग्रेस के लोकसभा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई (MP Pradyut Bordoloi) ने कहा है कि कई मौकों पर कठोर कानून AFSPA का 'दुरुपयोग' किया गया है।
Hang my head as an #Indian in shame when some security personnel act barbaric on our own citizens. Enquiry on #Nagaland killings shouldn't be an eyewash but exemplary exercise to bring the killers in uniforms to justice @AmitShah pic.twitter.com/Syd86Ghngj
— Pradyut Bordoloi (@pradyutbordoloi) December 6, 2021
संसद में बोलते हुए, बोरदोलोई (MP Pradyut Bordoloi)ने कहा कि “इस अधिनियम (AFSPA) का दुरुपयोग करके कई उदाहरण हुए हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए। उसी समय, इस विशेष अधिनियम में एक संशोधन किया जाना चाहिए "।
उन्होंने आगे कहा कि नागालैंड सरकार (Nagaland govt.) ने जो जांच शुरू की है, वह 'चश्मदीद' नहीं होनी चाहिए। असम कांग्रेस के लोकसभा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई (Pradyut Bordoloi) ने कहा कि "नागालैंड हत्याकांड की जांच एक दिखावा नहीं होना चाहिए, बल्कि हत्यारों को वर्दी में सजा दिलाने के लिए अनुकरणीय अभ्यास होना चाहिए।"
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