आइजोल। मुख्यमंत्री जोरमथांगा (Chief Minister Zoramthanga) ने सोमवार को कहा कि केंद्र ने मिजोरम सरकार (Mizoram Government) को आश्वासन दिया है कि वह ऐसे उपाय करेगी जिससे पूर्वोत्तरी राज्य म्यांमा के लोगों की मानवीय सहायता करना जारी रख सके। म्यांमा में तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश के हजारों लोगों ने राज्य में शरण ली है।

इस साल फरवरी में म्यांमा की सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट दिया था जिसके बाद प्रदर्शन शुरू हुए थे और उन पर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद म्यांमा के नागरिकों ने भागकर मिजोरम में शरण ली थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के साथ हाल में दिल्ली में मुलाकात के दौरान, ज़ोरमथांगा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से म्यांमा के नागरिकों की सहायता करने का आग्रह किया था, जो "मानवीय" संकट के कारण अपने देश से भाग आए हैं।

मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, “ प्रधानमंत्री ने मुझे आश्वासन दिया कि केंद्र मिजोरम को म्यांमा के नागरिकों को अपनी सहायता जारी रखने में सक्षम बनाने के लिए एक योजना बनाएगा। केंद्र म्यांमा शरणार्थियों की सीधे तौर पर मदद नहीं कर सकता क्योंकि भारत ने 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि और इसके 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।”

म्यांमा के 14,000 से ज्यादा नागरिक फिलहाल मिजोरम के अलग अलग हिस्सों में शरण लिए हुए हैं।

मुख्यमंत्री के अनुसार, स्वीडन के प्रतिनिधि सहायता प्रदान करने और जमीनी स्थिति को देखने के लिए इंटरनेशल रेड क्रॉस के माध्यम से मिजोरम का दौरा करेंगे।