
नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाली पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की झांकी इस आयोजन के मुख्य आकर्षण में से एक रही क्योंकि इस झांकी ने महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा, इसने मेघालय को राज्य का दर्जा प्राप्त करने के 50 वर्षों पर भी प्रकाश डाला।
मेघालय ने अपनी झांकी के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था में महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के योगदान को श्रद्धांजलि दी। झांकी में बांस और बेंत के हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया जो हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय हो गए हैं।
The Meghalaya #Tableau gracing the 73rd #RepublicDayParade2022 on Rajpath not only celebrates 50 years of #Meghalaya’s Statehood but also depicts the success story of our Women-led SHG Movement & Cooperative Societies in the State.@PMOIndia @AmitShah pic.twitter.com/hCLWML5xdl
— Conrad Sangma (@SangmaConrad) January 26, 2022
ये हस्तशिल्प (Handicrafts) आमतौर पर महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और SHG द्वारा किया जाता है, जिसकी सफलता ने मेघालय की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। झांकी के सामने के हिस्से में एक महिला को बांस की टोकरी बुनते हुए दिखाया गया है, साथ ही मेघालय के कई बांस और बेंत के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।
झांकी के पिछले हिस्से में पारंपरिक खेती और लकडोंग हल्दी के प्रसंस्करण को दर्शाया गया है। मेघालय के जयंतिया हिल्स से महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों (women-led cooperative) और एसएचजी के अंतहीन प्रयासों की बदौलत लकडोंग हल्दी (Turmeric) ने वैश्विक ख्याति प्राप्त की है।
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