पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) ने मेघालय सरकार (Meghalaya Government) द्वारा शिलांग में रह रहे सिख समुदाय के लोगों को विस्थापित किए जाने के फैसले का विरोध किया है। रंधावा ने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मेघायल के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के समक्ष उठाने का फैसला लिया है। पंजाब उपमुख्यमंत्री कार्यालय ने रविवार को मेघालय सरकार के फैसले का विरोध जताते हुए एक बयान जारी किया। रंधावा ने मांग की है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार को यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए।

मेघालय कैबिनेट (Meghalaya Cabinet) ने हाल ही में शिलांग के थेम इव मावलोंग क्षेत्र (पंजाबी लेन) में ‘अवैध तौर पर बसने वालों’ को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। जिसके बाद शिलांग में रह रहे सिख समुदाय भी इसका विरोध कर रहे हैं। पंजाब डिप्टी सीएम कार्यालय ने बयान में कहा है कि दो साल पहले सुखजिंदर रंधावा की अध्यक्षता में पंजाब सरकार की एक प्रतिनिधिमंडल ने शिलांग दौरे पर वहां रह रहे सिख समुदाय से मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि वे उनको विस्थापित किए जाने के किसी भी कदम का विरोध करेंगे।

सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि जमीन माफिया के दबाव में सिखों को विस्थापित किया जाना पूरी तरह अन्याय है। उन्होंने कहा कि शिलांग में सिख दशकों से रह रहे हैं और पंजाब सरकार उनको विस्थापित करने के फैसले का पुरजोर विरोध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि 200 सालों से भी ज्यादा समय से वहां रह रहे सिखों के मानवाधिकारों का हनन किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार देश भर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनमें भरोसा पैदा करने में नाकाम रही है और जम्मू-कश्मीर एवं उत्तर प्रदेश में हालिया घटना के उदाहरणों से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह संविधान की भावना के खिलाफ है, जो सभी को बराबरी का अधिकार देती है। बयान के मुताबिक, जून 2019 में रंधावा के नेतृत्व में पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने शिलांग में गुरुद्वारा नानक दरबार का दौरान किया था, जहां गुरुद्वारे के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को बताया था कि उन्हें जबरन हटाया जा रहा है।

मेघालय कैबिनेट ने इस सप्ताह की शुरुआत में उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति (HLC) द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया। शिलांग में सिख समुदाय के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली हरिजन पंचायत समिति (एचपीसी) ने कहा है कि वह सरकार को अभियान चलाने से रोकने के लिए ”पुरजोर प्रयास” करेगी।

एचपीसी के सचिव गुरजीत सिंह ने शनिवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था, ”कई सालों से पंजाब लेन इलाके के थेम इव मावलोंग में रह रहे सैकड़ों दलित सिख परिवारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली एचपीसी ने उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।” सिंह ने यह भी कहा कि उनके संगठन ने ”इलाके में रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ने” की कसम खाई है।

सिंह ने कहा, ”राज्य के सबसे बड़े पारंपरिक बाजार के करीब स्थित 2.5 एकड़ कॉलोनी की भूमि कई परिवारों की जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है, जिन्होंने इस क्षेत्र में दुकानें और अन्य व्यवसाय स्थापित किए हैं। हम अपनी भूमि के लिए जान दे देंगे लेकिन मेघालय सरकार के किसी अवैध, अनैतिक एवं अनुचित कार्रवाई को होने नहीं देंगे।” उन्होंने दावा किया कि खासी पर्वतीय क्षेत्र में प्रमुखों में से एक- हिमा माइलीम के प्रमुख द्वारा पंजाबियों को यहभूमि उपहार में दी गई थी। सिंह ने कहा, ”किसी अन्य का इस जमीन पर अधिकार नहीं है।”