मेघालय में एक स्वायत्त आदिवासी परिषद ने असम के साथ आंशिक सीमा समझौते को अदालत में चुनौती देने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया है। खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (केएचएडीसी) ने हिमा नामक पांच पारंपरिक खासी आदिवासी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ समिति का गठन किया। इनमें से प्रत्येक हिमा के पास असम की सीमा से लगे क्षेत्र हैं।

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KHADC मेघालय में तीन जनजाति-आधारित परिषदों में से एक है। अन्य दो गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद और जयंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद हैं। समिति ने कहा कि अमस और मेघालय के बीच 12 विवादित क्षेत्रों में से 6 को निपटाने का समझौता हुआ, जिसका हम विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, हमें अदालत से समाधान मांगना होगा क्योंकि राज्य सरकार सीमा सौदे की समीक्षा नहीं करने पर अड़ी है। 

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बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके मेघालय समकक्ष कोनराड के. संगमा ने 29 जनवरी को छह "कम जटिल" क्षेत्रों में सीमा विवाद को निपटाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। केंद्र ने दो महीने बाद समझौते को अपनी सहमति दी थी। यह सौदा "ले-एंड-टेक" फॉर्मूले पर किया गया था, जिसने विवादित क्षेत्रों को दोनों राज्यों के बीच लगभग पचास-पचास प्रतिशत में विभाजित कर दिया था। ऐसे में सौदे से नाखुश मेघालय समर्थक ग्रामीण नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।सईम ने कहा कि नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली मेघालय सरकार ने केएचएडीसी की सिफारिशों को ध्यान में रखे बिना असम के साथ सीमा समझौता कर लिया। उन्होंने कहा, समझौते में कई खामियां हैं और ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी की गई है।