मेघालय कैबिनेट ने असम से लगी सीमा पर हिंसाग्रस्त मुकरोह गांव समेत सात स्थानों पर पुलिस चौकी स्थापित करने को स्वीकृति दी है। इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) असम-मेघालय सीमा विवाद पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और असम सरकार को ऐसी प्रणाली विकसित करने को कहा है, जिससे दोबारा ऐसी घटनाएं न हों। हालांकि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि फायरिंग की घटना स्थानीय मुद्दे के कारण हुई थी और असम-मेघालय का सीमा विवाद अलग है। 

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मेघालय की मंत्रिमंडल बैठक के बाद मुख्यमंत्री कोनराड के.संगमा ने बताया कि मेघालय की कैबिनेट ने विगत 22 नवंबर को हुई हिंसा में छह लोगों के मारे जाने के बाद असम के सीमावर्ती क्षेत्र में सात नई पुलिस चौकियां बनाने को मंजूरी दे दी है। खासी जैनतिया हिल्स रीजन पर सात पुलिस चौकियां बनाने का फैसला किया गया है। इसमें दो गांव वेस्ट जैनतिया हिल्स के मुकरोह और तिहवेह भी हैं। अन्य चौकियां लांगपिंह, लेजाडूबी, उमवाली, मुरियाप और रानी बनेंगीं। पाथरखामा और किरशाई की मौजूदा चौकियों को पुलिस स्टेशन में अपग्रेड किया जाएगा। 

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इन चौकियों के संचालन में सालाना दो करोड़ रुपये की लागत आएगी। संगमा ने कहा कि असम और मेघालय ने अंतरराज्यीय सीमा पर 12 विवादित गांवों की पहचान की है। हिंसा के बाद दोनों राज्यों के बीच बातचीत और जटिल हो गई है। पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों ने पिछले साल जुलाई में पहले दौर की बातचीत की थी। इस साल में मार्च में छह स्थानों पर मतभेद दूर करने के सहमति पत्र पर दस्तखत भी किए थे। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को विवादित सीमा के गांवों का दौरा करके रिपोर्ट देने को कहा है। 22 नवंबर को यह हिंसा तब हुई थी जब अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को असम के वन रक्षकों ने रोका था।