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पत्रकार पैट्रिशिया मुकीम एक जानीमानी पत्रकार है। इन्होंने कई मुद्दों पर आवाज उठाई है। और सरकार को इस बात से अवगत कराया है, जिस पर सरकार ने भी सहायता की है। इसी तरह से पत्रकार पैट्रिशिया मुकीम ने एक ऐसे मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है जहां सरकार भी सोचने पर मजबूर है। बता दें कि पैट्रिशिया मुकीम ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) से इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफा देने के बाद पैट्रिशिया मुकीम ने स्क्रिब्स के शरीर ने अब अपने चार महीने पुराने आदिवासी युवकों पर हमले की निंदा करते हुए अपने चार महीने पुराने फेसबुक पोस्ट के लिए आपराधिक आरोपों पर चिंता व्यक्त की है। मुकीम जो शिलांग टाइम्स के संपादक हैं, ने मामले पर अपनी चुप्पी के विरोध में गिल्ड से इस्तीफा दे दिया था। सभी लोग इस बात को लेकर हैरान हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि ईजीआई ने कहा कि मुकीम का मामला भारत में बोलने की स्वतंत्रता के लिए बड़े खतरों का प्रतिबिंब था, जो कि कानून के तहत काम करता है जो अक्सर केंद्र और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा "अंधाधुंध" इस्तेमाल किया जाता है। गिल्ड ने एक बयान में कहा कि मुकीम का मामला एक उदाहरण है कि मुक्त भाषण के खिलाफ कितने कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसलिए मुक्त प्रेस के खिलाफ है।
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