पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कुछ महीने शेष रहने के बीच मेघालय के राज्यपाल और पूर्व भाजपा नेता तथागत रॉय ने राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद अपने गृह राज्य की सक्रिय राजनीति में लौटने की इच्छा व्यक्त की है। पश्चिम बंगाल भाजपा के 74 वर्षीय पूर्व प्रमुख ने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों से असहमति जताते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता को ये बातें रास नहीं आएंगी।

एक वेबिनार (ऑनलाइन संगोष्ठी) के दौरान रॉय ने पश्चिम बंगाल की सक्रिय राजनीति में लौटने की अपनी इच्छा जाहिर की। रॉय ने कहा, "राज्यपाल के तौर पर मेरा कार्यकाल खत्म होने के बाद, मैं सक्रिय राजनीति में लौटना तथा पश्चिम बंगाल की सेवा करना चाहूंगा। मैं अपने राज्य लौटने के बाद, पार्टी से (इस बारे में) बात करूंगा। इसे स्वीकारना या खारिज करना उन पर है।"

रॉय 2002-2006 तक प्रदेश भाजपा के मुखिया थे और 2002-2015 तक भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। उन्हें मई 2015 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया और अगस्त 2018 में उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल मई में खत्म हो गया लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे बढ़ा दिया गया।

रॉय ने किसी का भी नाम लिए बिना कहा, "पश्चिम बंगाल में गाय हमारी माता है वाली उत्तर भारत की संस्कृति काम नहीं करेगी। गाय के दूध में सोना होता है या गोमूत्र से कोविड-19 का उपचार हो सकता है, जैसे बयान भाजपा की पश्चिम बंगाल में मदद नहीं करेंगे।" बहरहाल, भाजपा के प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष ने मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं भगवा दल का एक धड़ा मानता है कि रॉय की टिप्पणी में घोष पर निशाना साधा गया।