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मेघालय मंत्रिमंडल (Meghalaya Cabinet) ने शिलांग के थेम इव मावलोंग क्षेत्र में पंजाबी लेन के "अवैध बसने वालों" को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। सरकार ने उच्च स्तरीय समिति (HLC) की सिफारिश के आधार पर सिखों को स्थानांतरित करने का फैसला किया। मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (CM Conrad Sangma) ने कहा कि जमीन का मालिकाना हक स्थानीय आदिवासी सरदार (syiem) से राज्य को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि सरकार क्षेत्र से सिखों को बेदखल करने के लिए कदम उठा सके।
हरिजन कॉलोनी (HPC) में रहने वाले दलित सिखों के प्रतिनिधि निकाय हरिजन पंचायत समिति (HPC) ने "भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की अवैध, अनैतिक और अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ने" की कसम खाई। HPC के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ने एक बयान में कहा कि राज्य की सेवा करने वाले सिखों को भू-माफिया के दबाव में जबरन बेदखली का शिकार बनाया जा रहा है क्योंकि पहले दुर्गम क्षेत्र अब एक प्रमुख संपत्ति है।
HPC ने कहा कि कॉलोनी की 2.5 एकड़ जमीन उन निवासियों की है जिनके पूर्वज दो सदियों पहले पंजाब से आए थे। इवदुह (पंजाबी लेन) में रहने वाले लगभग 350 सिख परिवार उस जमीन से बेदखली की लड़ाई लड़ रहे हैं जहां वे दो सदियों से रह रहे हैं। उनका दावा है कि 1863 से पहले एक खासी आदिवासी सरदार ने उन्हें जमीन दान में दी थी।
कॉनराड संगमा सरकार (CM Conrad Sangma) ने जून 2018 में भूमि विवाद को निपटाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की थी। उस साल 31 मई को शिलांग में पंजाबी लेन इलाके की कुछ महिलाओं और सिटी बस चालक और कंडक्टर के बीच विवाद के बाद हिंसा भड़क गई थी।
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