खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU) मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ी जिले में रहस्यमयी नीली लूखा नदी पर एक स्वतंत्र जांच के लिए मेघालय सरकार से संपर्क किया है। मेघालय में सर्दियों के आगमन के साथ, पूर्वी जयंतिया पहाड़ी जिले की सबसे बड़ी नदी लुखा का पानी फिर से गहरा नीला होने लगा है। खासी छात्र संघ (KSU) के नरपुरा सर्कल के लोगों ने बदलते रंग के साथ गंभीर चिंता व्यक्त की है। पिछले एक सप्ताह के दौरान लूखा का पानी नीला गहरा होता जा रहा है।

नार्पुह सर्कल के अध्यक्ष क्विलनेस सुइयांग ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाने के लिए खलहरीट में पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के उपायुक्त से मुलाकात करने का फैसला किया है। हम जिला प्रशासन से स्वतंत्र वैज्ञानिक जांच के लिए मुलाकात करने जा रहे हैं। सुचियांग ने कहा कि इस वर्ष लूखा की पानी की गुणवत्ता खराब हो गई है। बता दें कि लुखा मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में बहती है, और हमेशा पूर्वोत्तर भारत में सबसे सुंदर और बेहतरीन स्वच्छ नदियों में से एक के रूप में दर्जा दिया गया था।


जानकारी के लिए बता दें कि यह नदी सोनापुर गाँव से होकर सुरमा घाटी में उतरती है और अंत में बांग्लादेश के बाढ़ के मैदानों में समाप्त हो जाती है। यह रिवर लूनर (वाह चंद्र) और नरहट रिजर्व फॉरेस्ट से बहने वाली छोटी नदियों और पानी की अविरल पहाड़ियों से पानी प्राप्त करती है। सुकियांग ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लूखा का रंग 2007 के सर्दियों के महीनों से नीला होना शुरू हुआ था। क्यूं हुआ और कैसे हुआ इसके बारे में किसी को नहीं पता कि सर्दियों में नदी का पानी गहरा नीला ही क्यों होता है।