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मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा (CM Conrad K Sangma) ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को निरस्त करने के लिए लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है। संगमा ने कहा कि "AFSPA पूर्वोत्तर में उग्रवाद के मुद्दे को हल करने में सक्षम नहीं है "। नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के अध्यक्ष संगमा ने शुक्रवार को इंफाल में यह बात कही।
वह 'हमारे हाथों में हमारा भविष्य' विषय पर पटसोई में नेशनल पीपुल्स यूथ फ्रंट (NPYF) द्वारा आयोजित एक युवा सम्मेलन में बोलने के लिए मणिपुर में थे। संगमा (CM Conrad) ने कहा कि "हमें यह महसूस करना होगा कि बल के प्रयोग से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। हमें सुरक्षा पहलुओं पर भी गौर करने की जरूरत है। लेकिन, AFSPA समस्या का समाधान नहीं है, ”।
संगमा (CM Conrad) ने कहा कि “यह केवल सामाजिक-आर्थिक उपायों के माध्यम से है, कि हम अंतिम समाधान खोजने में सक्षम होंगे। सशस्त्र बलों का इस्तेमाल कर हम एक बार फिर अपने युवाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए इस सम्मेलन में हमें यह महसूस करने की जरूरत है कि इस तरह की राजनीति, इस तरह के कानून स्थिति को और खराब करते हैं।"
AFSPA जो "अशांत क्षेत्रों" में तैनात भारतीय सेना और केंद्रीय बलों को शक्ति देता है, नागालैंड, असम, मणिपुर (इंफाल में सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है। बता दें कि इसे 2018 में मेघालय से वापस ले लिया गया था।
मणिपुर के उपमुख्यमंत्री युमनाम जॉयकुमार (Yumnam Joykumar), पूर्व मंत्री एल जयंतकुमार, NPP मणिपुर इकाई के अध्यक्ष एन काइसी, NPP मुत्चू मीठी के अरुणाचल चैप्टर के अध्यक्ष भी दिन भर चलने वाले यूथ कॉन्क्लेव के दौरान उपस्थित थे। NPP, जिसके 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में चार विधायक हैं, सीमावर्ती राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की प्रमुख सहयोगी है।
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