शिलॉंग। मेघालय में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान हो रहा है। यहां पर हमेशा से ही क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों का विधानसभा में दबदबा रहा है। हालांकि, कांग्रेस भी इस राज्य में एक मजबूत दल के तौर पर रही है। लेकिन, अब कांग्रेस को लगातार दलबदल के मामलों से प्रभावित होने के बाद कमजोर संगठन के तौर पर माना जा रहा है। वहीं, भाजपा एक उभरती हुई पार्टी है जिसकी टक्कर क्षेत्रीय पार्टियों से भी है।

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चुके 10 विधानसभा चुनाव

आपको बता दें कि मेघालय को 21 जनवरी,1972 को राज्य का दर्जा दिया गया था और तब से अब तक इस राज्य में 10 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले भाजपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ने और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया था। अब सवाल ये है कि चुनावी परिणामों में क्या भाजपा क्षेत्रियों दलों के दबदबे को तोड़ने में कामयाब होगी?

भाजपा का ऐसा रहा हाल

भाजपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब तक भाजपा मेघालय में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। भाजपा ने 1993 में पहली बार राज्य की राजनीति में कदम रखा था। तब से पार्टी ने 6 चुनाव लड़े हैं। भाजपा ने 2018 में सबसे अधिक सीटों (47) पर चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 2 सीटें जीत पाई थी। तब पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 9.63 फीसदी हो गया था। बीजेपी की तरह कांग्रेस भी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अभी तक इस राज्य में कांग्रेस एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी रही है जिसने पारंपरिक रूप से राज्य में वर्चस्व रखने वाले क्षेत्रीय दलों को चुनौती दी है।

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कांग्रेस का ऐसा रहा हाल

आपको बता दें कि 1972 में पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शुरुआत सामान्य रही। उस समय 12 में से 9 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। तब पार्टी को करीब 10 फीसदी वोट शेयर मिला था। कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2013 में था जब पार्टी ने 34.78 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 29 सीटें जीती थीं। हालांकि अब कांग्रेस अच्छी स्थिति में नही दिखाई देती है। इस चुनाव में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) मैदान में हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अभी तक अपना खाता नहीं खोला है।