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देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) अगले कुछ महीनों में होने हैं। पूर्वोत्तर के एक अहम राज्य मणिपुर भी उनमें से एक है। यह राज्य काफी संवेदनशील है और विधानसभा (Manipur Assembly election 2022) का कार्यकाल भी 19 मार्च 2022 को खत्म होने जा रहा है। कुछ महीने बाद फिर चुनाव है। इस राज्य में भाजपा की सरकार है और आगमी चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बचाने की है। साल 2022 में बीजेपी ने 40 सीटों की जीत का लक्ष्य घोषित किया है लेकिन सवाल है कि क्या इस लक्ष्य को पाना आसान होगा या चुनौतियों से भरा हुआ?
आपको बता दें कि, साल 2017 में बीजेपी 60 सीटों में केवल 21 सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई थी जिसके कारण पार्टी को गठबंधन की सरकार बनाने पर मजबूर होना पड़ा। अब साल 2022 के चुनाव में भाजपा अकेले ही बहुमत का आंकाड़ा पार करना चाहती है। इसके लिए भाजपा की तरफ से इस बार महिला नेता ए शारदा देवी को कमान सौंपी गई है। भाजपा का मुकाबला कांग्रेस के साथ है।
बता दें कि, भाजपा ने साल 2017 में वो चमत्कार करके दिखाया जो पिछले 2 चुनावों में नहीं हो पाया था। कांग्रेस के पुराने नेता एन बीरेन सिंह (N. Biren singh) के दम पर भाजपा ने साल 2017 में यह जीत हासिल की थी। एन बीरेन सिंह ने साल 2016 में कांग्रेस की पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। बीरेन सिंह ने भाजपा को मजबूत किया और साल 2017 के चुनावों में 21 सीटें जीती। वहीं काग्रेंस 28 सीट जीतने के बावजूद मणिपुर में सरकार बनाने में असफल रही। केवल 4 महीने की कड़ी मेहनत के बाद भाजपा ने 15 साल से कायम मणिपुर में कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंका था।
मणिपुर की राजनीति में कब फेरबदल हो जाए कहा नहीं जा सकता है। साल 2017 में भाजपा पार्टी ने 21 सीटे जीती जिसमें नेशनल पीपल्स पार्टी (4), नगा पीपल्स फ्रंट (4), लोजपा (1) और दो अन्य विधायकों का सहयोग शामिल था। इनके सहयोग से ही भाजपा की पार्टी मणिपुर में अपना परचम लहरा पाई और एन बीरेन सिंह सीएम बन सके।
गौरतलब है कि, मणिपुर के सामाजिक जीवन में महिलाओं का हमेशा से ही अहम स्थान रहा है और इसी को देखते हुए भाजपा ने महिला नेता ए शारदा देवी को प्रदेश अध्यक्ष बना कर दांव लड़ने को तैयार हो गई है। जानकारी के लिए बता दें कि, मणिपुर की राजधानी इम्फाल में एक ऐसा बाजार है जहां चार हजार से अधिक दुकानें केवल महिलाएं ही चलाती है। शारदा देवी ने प्रदेश अध्यक्ष का कमाना संभालते ही मणिपुर के कोने-कोने की यात्रा शुरू कर दी है और भाजपा पार्टी का नया रूप पेश किया है। वहीं कांग्रेस पार्टी से खिसकते हुए कई नेता भाजपा में आ गए है। मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष गोबिनदास कोंथोजम से लेकर कई कांग्रेस विधायक भाजपा में एंट्री कर चुके हैं।
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