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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि कोई भी देश पूरी क्षमता के साथ तभी आगे बढ़ पाता है जब उसकी सीमाएं सुरक्षित रहती हैं। सिंह ने शुक्रवार को मणिपुर में असम राइफल्स मुख्यालय का दौरा किया और रेड शील्ड तथा असम राइफल्स के सैनिकों से बातचीत की। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, पूर्वी कमान के प्रमुख ले.जन. आरपी कालिता और जीओसी स्पियर कोर ले.जन. आरसी तिवारी सहित सेना तथा असम राइफल्स के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उनके साथ थे।
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इस मौके पर रक्षा मंत्री ने अटूट समर्पण के साथ राष्ट्रीय ध्वज को बुलंद रखने के लिये बलों की प्रशंसा की और कहा कि राष्ट्र उसी समय अपनी पूरी क्षमता से काम कर सकता है, जब उसकी सीमायें सुरक्षित रहें। अधिकारियों ने रक्षा मंत्री को क्षेत्र में शांति व व्यवस्था कायम रखने और उग्रवाद-रोधी गतिविधियों तथा भारत-म्यांमार सीमा पर सीमा प्रबंधन परिचालन की जानकारी दी। सिंह ने सैन्याधिकारियों और सैनिकों की सराहना की कि वे दुर्गम भू-भाग और मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुये पूरे साहस तथा दृढ़ता से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और असम राइफल्स के बीच उपस्थित होना बहुत गर्व की बात है।
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रक्षा मंत्री ने रेड शील्ड डिवीजन के योगदान की प्रशंसा की और कहा कि स्थापना के बाद से ही चाहे वह 1971 का युद्ध हो, श्रीलंका में आईपीकेएफ का हिस्सा होने की बात हो या उसकी वर्तमान भूमिका हो, डिवीजन ने हमेशा अच्छा योगदान दिया है। उन्होंने पिछले सात दशकों में शानदार योगदान तथा आंतरिक सुरक्षा, भारत-म्यांमार सीमा को सुरक्षित बनाने और पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने में मुख्य भूमिका निभाने पर असम राइफल्स के महती योगदान की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा, यही कारण है कि आपको ‘फ्रेंड्स ऑफ दी नॉर्थ-ईस्ट पीपुल’ और ‘सेन्टीनल्स ऑफ नॉर्थ-ईस्ट’ कहा जाता है। रेड शील्ड डिवीजन और असम राइफल्स के 1,000 से अधिक सैन्य कर्मियों ने रक्षा मंत्री के साथ संवाद में हिस्सा लिया।
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