कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा होने का अनुमान है। विशेषज्ञों ने कहा है, बच्चा अगर संक्रमण की चपेट में आता है, लेकिन लक्षण नहीं हैं तो चिंता की बात नहीं है। विशेषज्ञों ने ये बात तब कही, जब केरल व मिजोरम में दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण बढ़ रहा है।

 

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन के चेयनमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा, सीरो सर्वे में सामने आया कि बच्चों में भी संक्रमण वयस्कों की तरह ही है, पर लक्षण वाले मामले बहुत कम है। एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, प्रतिबंधों में राहत के साथ ही लोग बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हैं, ऐसे में संक्रमित बच्चों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अर्थ यह नहीं कि बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़े या संक्रमण से मौतों का ग्राफ बढ़ जाए क्योंकि अधिकतर बच्चों में लक्षण नहीं या हल्के हैं।

 

तैयारी पूरी रखनी होगी : विशेषज्ञों का कहना है, बच्चों के लिए तैयारी पूरी रखनी होगी। अस्पतालों में सुविधाओं का ध्यान रखना होगा। दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सक्रिय मामलों की संख्या मार्च से बढ़ी है। केरल, मिजोरम, मेघालय व मणिपुर में बच्चों में संक्रमण अधिक है। मणिपुर में मंगलवार के1502 मामलाें में से 300 बच्चों में वायरस मिला है।

 

लगातार दूसरे दिन बढ़े मामले देश में लगातार दूसरे दिन कोरोना के नए मामले बढ़े हैं। एक दिन में 30 हजार से अधिक नए मामले आए हैं। जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या में 100 से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। बृहस्पतिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि एक दिन में कोरोना के 30,570 नए मामले सामने आए हैं और 431 लोगों की मौत हो गई है।

 

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बृहस्पतिवार को कहा, वैक्सीन की बूस्टर डोज सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। बृहस्पतिवार को डॉ. भार्गव ने कहा कि वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर अलग-अलग अध्ययन आए हैं, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में बूस्टर डोज पर जोर देने की जरूरत नहीं लग रही है। सरकार का पहला उद्देश्य दो खुराक के टीकाकरण को जल्द से जल्द पूरा करना है। आईसीएमआर के ही भुवनेश्वर केंद्र ने बताया था कि कोवाक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के दो से तीन महीने बाद एंटीबॉडी का असर कम हो रहा है।