पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में विधानसभा चुनाव (Manipur Assembly Election 2022) की घोषणा हो गई। राज्य में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान है। मतों की गिनती 10 मार्च को की जाएगी। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद राज्य में 27 फरवरी को होने वाली वोटिंग को लेकर बवाल मच गया है। 

क्योंकि 27 फरवरी, रविवार को है। कई आदिवासी संगठन और ईसाई संगठन (Tribal Organizations and Christian Organizations) इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मणिपुर में रविवार को मतदान नहीं होता है क्योंकि उस दिन ईसाई संडे मास (Christian Sunday Mass) में जाते हैं। पूजा-प्रार्थना करते हैं। आराम करते हैं। इसलिए आयोग को तारीख बदलनी चाहिए। 

अब सवाल ये उठता है कि क्या चुनाव आयोग को या राज्य सरकार को इसके बारे में पता नहीं था? जहां चुनाव आयोग (Election commission) उद्देश्य एक एक वोट पड़ना होता है तो ऐसे में रविवार के दिन मतदान की तारीख तय करना अचरज जान पड़ता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग मतदान नहीं कर पाएंगे। 

बता दें कि राज्य में 43 फीसदी आबादी आदिवासियों की हैं, जिसमें से ज्यादातर ईसाई हैं। अगर रविवार को मतदान हुआ तो इनमें से काफी लोग मतदान करने नहीं जाएंगे। तभी रविवार का दिन तय करने पर आयोग की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर और कुकी इनपी मणिपुर ने आयोग से तारीख बदलने को कहा है। इसके लिए इन संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है, जिसका समर्थन आम लोगों की ओर से भी किया जा रहा है। आयोग को उनकी राय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।