दिल्ली की सरहदों पर जारी किसान आंदोलन (farmers' agitation on the outskirts of Delhi may end soon)  जल्द ही खत्म हो सकता है. खबर है कि सरकार ने किसानों को औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है. सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है. साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा. इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवज़ा दिया जाएगा. पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान कर चुकी हैं.

खबर है कि सरकार की तरफ से औपचारिक पत्र मिलने के बाद किसान पूरी तरह संतुष्ट हैं और जल्द ही आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं. किसान नेता अशोक धावले (Farmer leader Ashok Dhawale ने कहा कि सरकार की तरफ से एक आधिकारिक पत्र मिला है. इस पत्र को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक इस पत्र को खोला नहीं गया है. इससे पहले सरकार ने सादे कागज पर किसानों को प्रस्ताव भेजा था.

बुधवार को पांच वरिष्ठ किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से दिए गए नए प्रस्तावों पर चर्चा की. इनमें हजारों किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस केस तत्काल वापस लिए जाने की बात शामिल है. सरकार ने मंगलवार शाम भी किसानों को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर कमेटी गठित करने का भरोसा दिया गया था. हालांकि, इसके बाद किसान लगातार आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस केस वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे.

तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws ) के निरस्त होने के बाद भी किसानों ने सरकार के सामने नई मांगें रखी थीं. इनमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा, पराली जलाने पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होने, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पर चर्चा की बात शामिल थी.

इसके अलावा किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (minimum support price पर चर्चा के लिए समिती गठित करने की मांग की थी, जिसके सदस्यों का चुनाव SKM करेगा. साथ ही एमएसपी जारी रहेगी. पंजाब की तरह ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक किसानों के परिवारों के 5 लाख रुपये का मुआवजा और नौकरी का वादा किया है.