असम की जनता ने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भैंसा की लड़ाई जारी रखने की बात कही है। जी हां, राज्य में भैसों की यह लड़ाई बहुत ही प्रसिद्ध ै और मोह जुज के नाम से जानी जाती है। इस लड़ाई को फसल कटाई के समय मनाए जाने वाले माघ बिहू महोत्सव के दौरान आयोजि किया जाता है।

खबर है गुवाहाटी से लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोरेगांव जिले के बोइउिया बोरी इलाके में लगभग 48 भैंसो के जोड़ों को इस लड़ाई में शामिल करने के लिए लाया गया है। आपको बता दें कि यहां पर भैंसो की इस लड़ाई का आयोजन पिछले 35 सालों से भी ज्यादा समय से किया जा रहा है।

इस आयोजन के प्रेसिडेंट अनंता देवरी का कहना है कि भैंसो की यह लड़ाई पुरानी परंपरा है और असमिया समाजिकता का प्रतीक है जो कि माघ बिहू पर्व पर आयोजित की जाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि हम सुप्रीम कोर्ट का आदर करते हैं लेकिन यह सिर्फ हमारी परंपराओं का हिस्सा मात्र है। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है।

हालांकि माघ बिहू पर्व के उवसर पर आयोजित की जाने वाली इस भैंसो की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट 2014 से ही रोक लगा चुका है, लेकिन इस बार इसका आयोजन किया जा रहा है।