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गणपति (Ganpati) द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं। इसी विधि को महाद्वार पूजन या महागणपति पूजन कहते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को आ रही है। जैसे कि हम जानते हैं कि भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता। विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूजे जाने वाले गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता माने जाते हैं। श्रीगणेश निष्कपटता, विवेकशीलता एवं निष्कलंकता प्रदान करने वाले देवता हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि जिस प्रकार पानी की बूंद में यदि तेल का जरा-सा भी अंश हो, तो वह पानी में पूर्णरूप से घुल नहीं सकता, उसी प्रकार जब तक गणपति भक्त गणपति की समस्त विशेषताएं आत्मसात नहीं कर लेता, तब तक वह गणपति से एकरूप नहीं हो सकता। श्रीगणेश निष्कपटता, विवेकशीलता एवं निष्कलंकता प्रदान करने वाले देवता हैं। जिस प्रकार पानी की बूंद में यदि तेल का जरा-सा भी अंश हो, तो वह पानी में पूर्णरूप से घुल नहीं सकता, उसी प्रकार जब तक गणपति भक्त गणपति की समस्त विशेषताएं आत्मसात नहीं कर लेता, तब तक वह गणपति से एकरूप नहीं हो सकता है।
जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो कुछ लेकर आते हैं इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं, वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि कायम रहती है। इसके बाद प्रतिमा विसर्जित कर हम उन्हें अपने दिव्य धाम को वापिस भेजते हैं।
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