भगवान भोलेनाथ का सबसे पवित्र पर्व महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है। इस दिन कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी और पार्वती की पूजा करते हैं तो उनपर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। जो भक्त इस दिन भगवान शिव की उपासना और व्रत करता है उसकी मनोकामनाएं शिवजी तुरंत पूरी कर देते हैं। जानें महाशिवरात्रि पूजा मंत्र।
1. शिव मोला मंत्र

ॐ नमः शिवाय॥

2. महा मृत्युंजय मंत्र


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. रूद्र गायत्री मंत्र


ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
 यह भी पढ़ें- Maha Shivratri पर बनाएं भगवान शिव की सबसे पसंदीदा भोग ठंडाई


महामृत्युंजय गायत्री मंत्र-

ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: ओम स: जूं हौं ओम॥

मान्यता है कि महामृत्युंजय गायत्री मंत्र काफी फलदायी है। हांलाकि, इस मंत्र का जप करते हुए कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। इस मंत्र का जप करते हुए उच्चारण सही से करें। जप करते हुए धूप और घी का दीपक जलते रहना चाहिए। रूद्राक्ष की माला के साथ जप करने से अधिक लाभ मिलता है।
 यह भी पढ़ें- Mahashivratri का कर रहे हैं व्रत तो जान लीजिए व्रत नियम, शिवलिंग पर करें चन्दन का लेप


रूद्र गायत्री मंत्र


ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहितन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

शिव के साथ गायत्री का जाप सरल और शुभफलदायी है। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। यह शिव गायत्री मंत्र है, जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण संभव है। शिव गायत्री मंत्र का जप प्रत्येक सोमवार को करना चाहिए।

इस मंत्र को रूद्र मंत्र के जाप से भी जाना जाता है। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।। अर्थात ॐ, मुझे अपना सारा ध्यान सर्वव्यापी भगवान शिव पर केंद्रित करने दो। मुझे ज्ञान का भंडार दो और मेरे हृदय में रूद्र रूपी प्रकाश भर दो।