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इस साल फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च 2021 (शनिवार) को है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन पवित्र नदियों के स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन देवताओं का वास संगम के तट पर होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण का लाभ मिलता है।
फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए दक्षिण दिशा का प्रयोग करना चाहिए। तर्पण के समय आसन का भी विशेष महत्व होता है। कंबल या कुश के आसन पर बैठकर तर्पण करना शुभ माना जाता है। तर्पण कुश की अंगूठी पहनकर करना चाहिए।
कैसे करें तर्पण
फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान करना चाहिए।
इसके बाद सूर्य को जल अर्पण करते समय मंत्र बोलें।
इसके बाद तर्पण के लिए आसन पर बैठ जाएं।
पितरों के तर्पण में तिल का विशेष महत्व होता है।
तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए।
तर्पण पूरा होने के बाद किसी गरीब या जरूरतमंद को दान या भोजन कराएं।
भोजन के बाद दक्षिणा देना चाहिए।
महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या के दिन नदियों में देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि अगर अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो महाकुंभ स्नान का योग भी बनता है। जिसे शास्त्रों में अनंत फलदायी माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
मार्च 12, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरम्भ।
मार्च 13, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त।
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