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मौसम और कृषि से जुड़ी कवि घाघ की कहावतें बहुत हर जगह मशहूर हैं। कवि घाघ की ये कहावतें मौसम विज्ञान और कृषि पर पूरी तरह से सटीक होती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि सन 1753 में जन्म कवि घाघ अकबर के राज दरबार के मौसम वैज्ञानिक थे। वह मौसम और कृषि को लेकर जानकारी कहावतों में देते थे। अभी भी इनकी कहीं कई कहावतें मौसम जानकारी पर सच साबित होती है। अभी का पौष माह चल रहा है और अभी के मौसम में घाघ की कहावतें क्या कहती है यह जानते हैं।
कवि घाघ की मौसम एवं कृषि से जुड़ी ऐसी ही ज्योतिषीय भविष्यवाणियां करते थे। अभी तो मौसम विभाग की तकनीकों से मौसम की जानकारी देते हैं। एक कहावत आपके सामने पेश करते हैं कि ’शुक्रवार की बादरी, रही शनिश्चर छाय। कह घाघ सुन भड्डरी बिन बरसे ना जाय।।’ इसका मतलब है कि शुक्रवार को आकाश में बादल हों और शनिवार तक बादल छाए रहे तो बिना बरसे नहीं जाते हैं। इसी तरह से एक और कहावत है कि ’पूस मास दशमी अधियारी। बदली घोर होय अधिकारी। सावन बदि दशमी के दिवसे। भरे मेघ चारों दिशि बरसे।।’
इस कहावत का मतलब है कि अभी पौष का महीना चल रहा है तो कहावत कहती है कि पौष महीने की दशमी को बादल छाए रहे तो अगले वर्ष श्रावण कृष्ण दशमी को घनघोर वर्षा होना तय है। पौष मास में अमावस्या के आसपास बरसात हो अगर होती है तो अगले रबी के सीजन में गेहूं अधिक मात्रा में पैदा होना तय हैं। जो एक दम सटीक साबित होती है। घाघ कवि कहते हैं कि इस पौष माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी 20, 21 और 22 जनवरी को आसमान में बादल रहेंगे या नहीं, अब यह देखना की भविष्यवाणी कितनी सच होती है।
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